स्कूल में बच्चों को बुलइंग से कैसे बचाये?
स्कूलों में, कुछ बच्चे अपनी कक्षा या अन्य सहपाठियों, कमजोर बच्चों को धमकाते, चिढ़ाते या चोट पहुँचाते हैं। इस तरह के यवहार को बुलिंग कहते हैं।
स्कूलों में, कुछ बच्चे अपनी कक्षा या अन्य सहपाठियों, कमजोर बच्चों को धमकाते, चिढ़ाते या चोट पहुँचाते हैं। इस तरह के यवहार को बुलिंग कहते हैं।
बच्चों को बचपन में प्यार और भरोसे के साथ पाला जाए तो उन्हें ऐसी गलतियां करने की आजादी होती है जिससे उन्हें कोई नुकसान न हो। ऐसे बच्चे बड़े होकर काफी आत्मविश्वासी होते हैं।
अपने वर्तमान को महत्व दे – जब आप अपने में present में व्यस्त होंगे तो अपने आप ही आप अतीत को भूल जाएंगे। क्योंकि अतीत की यादें हमें परेशान करती है, विचलित करती है, जो हमें कभी आगे नहीं बढ़ने देंगी।
आलोचना का लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह लोगों में आत्मसम्मान में कमी , हताशा, असुरक्षा और तनाव पैदा करता है।
बच्चे की तारीफ करना जरूरी है, लेकिन इसे समझदारी से करना चाहिए ताकि इसका बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
यदि माता-पिता बच्चे से ज्यादा कड़े ढंग से पूछताछ करते हैं, तो बदले में बच्चा डर जाएगा और झूठ बोलेगा या लड़ेगा। ऐसी स्थिति में बच्चा यह मानने से भी इंकार कर देगा कि उसने क्या किया है क्योंकि उसे स्वीकार करने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है।
भावनाओं को व्यक्त करने के महत्व को सिखाने के लिए, माता-पिता को यह समझाना चाहिए कि अन्य लोग अपनी भावनाओं को क्यों साझा करते हैं
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