Episode 10 – पड़ोसी की शादी
“याद है सुमन?” “हाँ याद है, पहली बार सारा बेसन जल गया था और हम दोनों को बहुत डांट पड़ी थी,” सुमन ने कहा और
“याद है सुमन?” “हाँ याद है, पहली बार सारा बेसन जल गया था और हम दोनों को बहुत डांट पड़ी थी,” सुमन ने कहा और
“कोई परेशानी हो तो बता दीजियेगा।” सुमन बिस्तर पर लेटते हुए बोली। शर्मा जी ने मन मे सोचा, “क्या बताऊँ कि मुझे निर्मल से ईर्ष्या
निर्मल और दिव्या के घर से आने के बाद उन्हें रात मे नींद अच्छी नही आ रही थी। पेट भी कुछ खराब लग रहा था,
खैर, जैसे तैसे उस दिन वह काम खत्म करके घर पहुँचे तो आठ बज गए थे। उस दिन उन्हें दिल्ली वाली घटना याद आई। पिछले
“अभी आये हुये कितने दिन हुए हैं। इतनी जल्दी थोड़े ही जाएँगे। सुनने मे आया है कि वह काफी कड़क मिज़ाज के है। वह खुद
“दिनेश साहब आपके पेपर्स तो पूरे हैं, पर अभी आपका सैक्शन लेटर नहीं आया है।” “वही तो साहब!’ कब आएगा लेटर।, मैं पिछले तीन महीने
शर्मा जी सुबह से जितना भारी महसूस कर रहे थे, अब उतना ही हल्का महसूस कर रहे थे। गुनगुनाते हुए अपनी सीट पर बैठ गये
उधर उस दिन शर्मा जी ऑफिस में काफी व्यस्त दिख रहे थे। चाय पीने भी नहीं उठे, वही सीट पर ही मंगा ली। दोस्तों के
“अब शाम तक घर में, कोई नहीं आएगा।” बच्चे नाना-नानी के घर गए थे और शर्मा जी के माँ-पापा तीर्थ यात्रा पर गए थे। वे
कई बार उनकी और सुमन की इस बात को लेकर लड़ाई भी हो जाती। पर न तो सुमन बदली और न शर्मा जी।
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