Depression एवं उसके विभिन्न उपचार|
सुख और दुःख इन दोनों का अनुभव हमें जीवन में होता है, सुख देने वाली बातो पर, घटनाओ पर हम आनंदित होते है, और दुखद सम्प्रेषण से हम विषाद ग्रस्त हो जाते है|
सुख और दुःख के यह मनोभाव बहुत कुछ हमारे जीवन के प्रति नजरिये पर निर्भर करते है|
जीवन के प्रति नजरिये में भिन्नता के आधार पर हम व्यक्तियों को विभिन्न श्रेणियों में बाट सकते है –
श्रेणी 1.
ऐसे व्यक्ति जो अपनी आत्म सम्मान को मेंटेन रखते है तथा दुःख के क्षणों में भी अपनी सकारात्मकता को बनाये रखते है|
श्रेणी 2.
वो दुखो से उबर कर सामान्य जीवन पुनः शुरू कर देते है |
वे व्यक्ति जो दुःख के क्षणों में दुखी होने के साथ अपने आत्म सम्मान को बरकरार नहीं रख पाते है | स्वयं को निरर्थक, मूल्यहीन एवं व्यर्थ समझने लगते है|
उनका मानसिक दृष्टिकोण क्रमशः नकारात्मक होता जाता है|
ऐसे व्यक्ति उन गतिविधियों में भी उत्साहित नहीं होते है जिनको करने में पहले उन्हें ख़ुशी मिला करती थी| वे सोचने लगते है कि–
१. यह जीवन उनके प्रति अनुकूल एवं न्यायसंगत नहीं है|
२. जीवन को वो अच्छा और अनुकूल नहीं बना सकते है|
३. वे जीवन में कभी सफलता नहीं पा सकते है | क्यों कि उनमे ऐसे क्षमताए ही नहीं है तथा स्वयं को भाग्यहीन मानते है|
४. स्वयं को हारा हुआ मानते है|
५. अपनी इस हार और हताशा के लिए दूसरों को दोषी मानते है|
६. स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास से रहित ऐसे व्यक्ति स्वयं के लिए भी बुरे ही होते है|
श्रेणी २ में शामिल व्यक्तियों को अवसादग्रसित या डिप्रेस्ड माना जाता है|
विभिन्न व्यक्तियों में डिप्रेशन के कारण और लक्षण अलग अलग हो सकते है|
अतः उनके उपचार की पद्धति में भी विभिन्नता होती है|
सुखद यह है कि अब हर प्रकार के डिप्रेशन का इलाज संभव है|
Depression के शिकार व्यक्ति के सम्बन्धियों को उसे यह सांत्वना देनी चाहिए की वो ठीक हो जायेगे|
गंभीर से गंभीर मरीज को भी डॉक्टर के पास जाना चाहिए और चिकित्सा के दौरान डॉक्टर के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए|
डिप्रेशन के मरीज का चिकित्सक के पास न जाना और फलस्वरूप उसे उचित चिकित्सा का उपलब्ध न हो पाना वास्तव में बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होता है|
जानकारी एवं जागरूकता के आभाव में व्यक्ति कई बार यह समझ ही नहीं पाता कि वह बीमार है|
उसके विषादपूर्ण आचार व्यव्हार का यह सिलसिला लम्बे समय तक चलता रहता है| चिकित्सा के आभाव में रोगी सुस्त और उदासीन होता जाता है जिससे मरीज और उसका परिवार दोनों ही हताशा होते है|
हमें यह समझने की जरूरत है कि डिप्रेशन कोई कमजोरी या मानसिक अस्थिरता नहीं होती है बल्कि यह एक रोग होता है|
जिसकी प्रॉपर चिकित्सा करवाया जाना वैसे ही जरूरी है जैसे डायबटीस या हृदय रोगी की करवाई जाती है|
एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इस बीमारी से ठीक होने के लिए यह जरूरी है कि मरीज यह समझे कि उसे कुछ प्रॉब्लम है|
रिकवरी इस मान्यता से शुरू होती है कि कुछ समस्या है।
और जैसे ही मरीज यह समझने लगता है कि उसके क्रिया कलाप उचित नहीं है|
इसमें परिवर्तन कि जरूरत है, तो आवश्यक इलाज के लिए तैयार भी हो जाता है|
यदि किसी डिप्रेस्ड व्यक्ति को यह मालूम ना भी हो की उसके डिप्रेशन का कारण क्या है?
उसे किस प्रकार का डिप्रेशन है?
इसका उचित निराकरण क्या है?
फिर भी उसे किसी कुशल थिरेपिस्ट से मिलने में हिचकना नहीं चाहिए|
Depression के दौर से गुजर रहे व्यक्ति को इससे सम्बंधित जानकारिया इंटरनेट के माध्यम से एवं चिकित्सको द्वारा सुझाई गई किताबो से प्राप्त करना चाहिए|
इस हेतु अनेको उपचार विकल्प मौजूद है जैसे काउंसलिंग, इलाज, स्वस्थ जीवन शैली आदि|
कौन सा विकल्प किसके लिए सर्वाधिक उपर्युक्त होगा इसको समझते हुए इसे अपनाना होगा क्योंकि हर व्यक्ति में डिप्रेशन का कारण भिन्न भिन्न हो सकता है|
साथ-साथ दवा इलाज भी आवश्यकता अनुसार करवाना चाहिए |
डिप्रेशन के उपचार प्रक्रिया में मरीज एवं उसके सम्बन्धियों दोनों को इससे सम्बंधित उचित जानकारी का होना एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसके कारण उपचार प्रक्रिया सहज, त्वरित एवं प्रभावी हो जाती है |
Depression के उपचार के विभिन्न प्रकार —
१ दवाओं द्वारा इलाज
२. किसी अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण
३. मनोचिकित्सा
४. कॉग्निटिव बेहवियरल थेरेपी (CBT)
५. इलेक्ट्रॉनिक कन्वल्सिव थेरेपी (ECT)
६. जीवन शैली में परिवर्तन
१ दवाओं द्वारा इलाज —
मस्तिष्क के रासायनिक संयोजन में असंतुलन के कारण डिप्रेशन की बीमारी होती है|
उपर्युक्त दवाओं द्वारा ऐसे असंतुलन को ठीक किया जा सकता है|
दवाओं का सेवन किसी क्वालिफाइड मनोचिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए|
चिकित्सक के कहे बिना दवा नहीं खानी चाहिए|
अपने मन से इसमें कोई फेर बदल नहीं करना चाहिए|
२. किसी अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण|
ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति के शरीर में मौजूद कुछ अन्य व्याधियों के कारण वह व्यक्ति तनाव, थकान, हताशा और डिप्रैशन महसूस कर रहा हो|
डॉक्टर इन कारणों को जानने समझने के लिए विभिन्न जाँच करवाते है|
सही डाइग्नोसिस कर सही उपचार सुनिश्चित करते है|
बहुत बार ऐसा होता है कि डॉक्टर सीधे डिप्रेशन की दवा नहीं देता है| डिप्रेशन पैदा करने वाली व्याधियों को ठीक करने कि दवा देता है और वह व्याधि ठीक होते ही डिप्रेशन अपनेआप ठीक हो जाता है|
३. मनोचिकित्सा|
मनोचिकित्सा किसी क्वालिफाइड मनोचिकित्सक द्वारा की जाती है|
इस दौरान वह कभी मरीज को अकेले तो कभी उसके परिजनों के साथ बुलाता है तथा आवश्यकतानुसार काउंसेलिंग और मीटिंग सेशन निर्धारित करता है|
जिन मरीजों में डिप्रेशन की बीमारी शुरुआती दौर में होती है अथवा बहुत हल्की होती है, उनकी चिकित्सा इन सेशंस से ही हो जाती है परन्तु गंभीर अथवा क्रोनिक हो चुके मरीजों को साथ में एंटी डिप्रेशन दवाए भी आवश्यकतानुसार दी जाती है|
४. कॉग्निटिव बेहवियरल थेरेपी (CBT) —
यह थेरेपी हमें डिप्रेशन से जुड़े नकारात्मक व्यवहार एवं सोच को बदलने में मदद देता है|
इस सिद्धांत का मानना है की मनुष्य में उसकी तार्किक और अतार्किक सोच के अनुरूप सकारात्मक और नकारात्मक प्रवृतिया होती है|
मनुष्य की अतार्किक सोच का पैटर्न उसकी भावनाये और व्यवहार ही उसके डिप्रेशन का करक होती है|
सी बी टी ऐसी भावनाओ, व्यवहारों और सोच की पहचान करने में मददगार होता है जो मनुष्य में सुख, दुःख, हर्ष, विषाद, अवसाद, झुंझलाहट आदि का कारण होती है|
ये हमें सिखाती है की कैसे इस प्रकार की सोच और व्यवहार का अवलोकन एवं निरीक्षण किया जाये तथा तर्क और सोच के सही विश्लेषण द्वारा नकारात्मकता पर नियंत्रण करते हुए कैसे इसे सकारात्मकता की तरफ लाया जा सके|
नकारात्मक विचारो जैसे “मैं अपने सारे प्रयास के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता” को सकारात्मक विचार जैसे “मैं सही प्रयास द्वारा सफलता प्राप्त कर सकता हूँ” द्वारा बदलना चाहिए|
मरीज के नकारात्मक व्यवहार और सोच को पहचान कर तथा उसे सकारात्मक विकल्प उपलब्ध करवा कर मरीज की मदद की जाती है|
यह मरीज को सकारात्मक सोच एवं व्यवहार की तरफ प्रभावी ढंग से ले जाता है|
स्वयं पर विश्वास का होना, अपने जीवन से लगाव होना| स्वयं की बिना किसी शर्त स्वीकार्यता मानसिक स्वस्थ के लिए अच्छा होता है |
कभी कभी व्यवहार में किया गया छोटा सा परिवर्तन भी हमारी सोच, हमारी फीलिंग्स में बड़े परिवर्तन लाता है|
यह इतना सरल है जैसे कि बैठ कर अपनी मनपसंद का संगीत सुनना और और फिर अच्छे मूड से शॉपिंग करने निकल जाना |
५. इलेक्ट्रॉनिक कन्वल्सिव थेरेपी (ECT)
उपचार की इस पद्धति का प्रयोग योग्य एवं उच्च प्रशिक्षत डॉक्टर की सहायता से डिप्रेशन के गंभीर मरीजों के इलाज हेतु किया जाता है|
मरीज को एनेस्थीसिया से निश्चेतना अवस्था में लाया जाता है फिर उसे हल्का विद्युत् उत्प्रेरण दिया जाता है| जिसका प्रभाव उसके मष्तिष्क पर होता है|
इस प्रक्रिया में कुशल मनोचिकित्सकों, निश्चेतना विशेषज्ञों और सपोर्ट स्टाफ की पूरी टीम लगी होती है |
जीवन शैली में किया गया परिवर्तन अकेला तो डिप्रेशन को ठीक नहीं कर सकता पर यह ठीक होने की प्रक्रिया में सहायता बहुत करता है|
व्यक्ति को डिप्रेशन से दूर रखने के लिए अच्छी जीवन शैली पहली जरूरत है|
यदि कोई व्यक्ति डिप्रेशन से ग्रसित है और अच्छी जीवन शैली भी नहीं रखता है तो उसे अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिए|
डिप्रेशन से लड़ने हेतु स्वस्थ जीवन शैली की युक्तियाँ —-
नियमित कसरत
रोज़ एक घंटे की कसरत शरीर में अच्छे और ख़ुशी वाले हॉर्मोन्स जैसे सेरोटोनिन, एंडोर्फिन्स आदि का स्त्रवण अच्छा कर देती है जो की व्यक्ति के मूड पर अच्छा प्रभाव डालती है|
दिमाग को शांति और आराम देता है और डिप्रेशन से लड़ने की शक्ति देता है|
नियमित रूप से थोड़ी धूंप ले, योग करे ध्यान करे तथा लम्बी गहरी सॉस का अभ्यास करे|
ध्यान के अभ्यास हेतु यह एक अच्छा एप है |
सामाजिक सहयोग
समाज से अलग थलग अकेला पड़ जाना डिप्रेशन का एक प्रमुख कारण होता है|
अतः परिवार एवं दोस्तों के संपर्क ने रहना, मिलते जुलते रहना, उनसे बातचीत करते रहना सदैव अच्छा होता है|
खानपान
संतुलित और संयमित भोजन शारीरिक और मानसिक स्वस्थ के लिए जरूरी होता है|
हमारे भोजन में शरीर के लिए आवश्यक सभी तत्वों का समन्वय होना चाहिए|
किसी कुशल डॉक्टर से यदि अपना डाइट चार्ट बनवा ले तो यह सर्वोत्तम होता है|
थोड़े थोड़े अंतराल पर थोड़ा बहुत खाते रहना चाहिए जिससे हमारी ऊर्जा का स्तर भी मेंटेन रहता है और मूड भी अच्छा बना रहता है|
अच्छी नींद
रात्रि में सात से नौ घंटे की अच्छी नींद लेना महत्वपूर्ण होता है | यह सीधे तौर पर हमारे मूड और अगले दिन के क्रिया कलापो को प्रभावित करती है|
यदि किसी कारणवश किसी व्यक्ति कि नींद पूरी नहीं होती है तो वह स्वयं को चिड़चिड़ा, उदास एवं थका थका महसूस करता है अतः डिप्रेशन से बचने के लिए हमें अच्छी और संतुलित नींद लेना चाहिए |
दैनिक जीवन में होने वाले तनावों को चिन्हित कर उन्हें कम करने का प्रयास करे
१. काम का अतिशय दबाव, मैत्रीपूर्ण सम्बन्धो एवं सहयोग का अभाव, जीवन की उपलब्धियों के प्रति असंतोष, समाज की छदम दौड़ में पीछे छूट जाने का भय यह सब कुछ हमें तनाव की तरफ ले जाता है|
२. इस अतिशय तनाव की अधिकता हमारी स्थिति को और ख़राब करती है तथा हमें डिप्रेशन की तरफ ले जाते है | अतः हमें अपने जीवन को अधिकाधिक तनाव मुक्त रखने हेतु अपनी आदतों में जरूरी बदलाव करना चाहिए
३. दैनिक जीवन में होने वाले अतिशय तनाव हेतु हमें किसी थिरेपिस्ट परिवार वालो से परामर्श लेना चाहिए जिससे भविष्य में हो सकने वाले डिप्रेशन से बच सके|
नकारत्मकता के चक्र को तोड़े
नकारात्मक विचारो और भावो की सततता से डिप्रेशन का जन्म होता है जैसे आत्म घृणा, अपराधबोध, अनुपयोगिता आदि|
इन पर दैनिक रूप से लगाम लगाने की जरूरत है|
इन्हे सकारात्मकता की तरफ मोड़ने का प्रयास होना चाहिए |
इससे वे नकारत्मकता के चक्र को तोड़ सकेगे|
सक्रिय रहे
सक्रिय रहने के लिए अपनी डायरी में छोटे छोटे कार्य लिखे तथा उन्हें उसी दिन पूरा करने का प्रयास करे तथा क्रमशः इसकी संख्या बढ़ाते जाये|
इससे आप में सफल होने का भाव बढ़ता जायेगा और आप के आत्म विश्वास एवं आत्म गौरव में वृद्धि होगी|
असंभव लक्ष्य निर्धारित न करे|
जीवन में लक्ष्य बड़े रखने चाहिए पर बहुत बार उन्हें प्राप्त करने के चक्कर में हम गंभीर तनाव में आ जाते है|
बेहतर है बड़े लक्ष्यों को छोटे छोटे चरणों में शेयर दिया जाये और क्रमिक रूप से उन्हें प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाये|
इससे हम लक्ष्य की प्राप्ति न्यूमतम तनाव झेलते हुए प्राप्त कर लेते है|
जीवन कोई दौड़ नहीं बल्कि एक खूबसूरत यात्रा है जिसे अनावश्यक तनाव के बिना गुजरना चाहिए|
थोड़ा समय प्रकृति के साथ बिताये
प्रकृति का सहचर बन जिया जाने वाला जीवन स्वयं में सर्वोत्तम होता है, क्योंकी वो सदैव हमारी देख भाल करती है|
इस आनंद को सिर्फ महसूस किया जा सकता है शब्दों में तो यह वर्णन से परे है|
अतः हमें कुछ समय पेड़ पौधों, नील गगन, पर्वत, नदियों आदि के सानिध्य में भी गुजरना चाहिए| इससे मन प्रफुल्लित हो उठता है|
अंतिम किन्तु महत्वपूर्ण तथ्य है की हमें अपने डिप्रेशन के बारे में किसी से बात करनी चाहिए|
सामान्यतः डिप्रेस्सेड व्यक्ति अपने डिप्रेशन के बारे में किसी से बात नहीं करना चाहता है| लम्बी अवधि तक इससे ग्रसित बना रहता है जिससे यह बीमारी और विकराल हो जाती है|
यदि वह अपनी बाते किसी के साथ शेयर करता है तो स्वयं को काफी हल्का महसूस करता है| अतः उसे अपनी बात शेयर करने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए|
हमें यह याद रखना चाहिए कि अपनी किसी कमी को किसी के साथ शेयर करना | उससे कोई मदद मांगने का मतलब यह नहीं होता है कि वह व्यक्ति दूसरे पर बोझ बन गया|
प्रायः देखा गया है कि आमने सामने बैठ कर कि गयी बाते डिप्रेशन से निपटने में प्रभावी होती है|
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Depression के इलाज के दौरान याद रखने योग्य बाते —–
# इलाज की थिरेपी में हो सकता है कि समय ज्यादा लग रहा हो|
# अपनी बीमारी से सम्बंधित कोई भी तथ्य डॉक्टर से छुपाइये मत|
इसी आधार पर डॉक्टर उस मरीज के चिकित्सा प्रबंधन की रूप रेखा तय कर पाए गा |