Covid 19 महामारी के समय में माता-पिता को बच्चों के सवालों का जवाब कैसे देना चाहिए?

Family protecting themselves from virus by wearing mask

Synopsis

Covid-19  महामारी के दौरान बच्चों के मन में तरह-तरह के सवाल हैं। उन सवालों का जवाब देना कभी-कभी मुश्किल होता है। यहां यह जानने के तरीके दिए गए हैं कि माता-पिता को कोरोनावायरस (कोविड) -19 महामारी के दौरान बच्चों के सवालों का जवाब कैसे देना चाहिए।

हम पिछले साल से Covid-19 महामारी से पीड़ित हैं और हमने हाल ही में पिछले दो महीनों में हुई एक दिल दहला देने वाली स्थिति देखी है। बच्चों सहित सभी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भयानक समय आएगा। इस समय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष  दोनों तरह से नुकसान हुआ है। उस समय अस्पताल के बिस्तरों, चिकित्सा ऑक्सीजन और दवाओं की भारी कमी थी, और कई शहरों में सामूहिक दाह संस्कार चल रहे थे।

बच्चे समाचार देखते हैं और घर में बड़ों को बीमारी के बारे में बात करते सुनते हैं। इससे बच्चों को अपने माता-पिता या दादा-दादी के बारे में चिंता हो रही है कि क्या वे संक्रमण होने पर महामारी से बचे रहेंगे।

अब कोरोना की तीसरी लहर जिसमें बच्चों के संक्रमित होने की आशंका है, के आने की खबर से उनमें खौफ बढ़ता जा रहा है। पहले यह एक ज्ञात तथ्य था कि बच्चे COVID संक्रमण से सबसे कम प्रभावित होंगे। लेकिन, वायरस में उत्परिवर्तन के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगली लहर में बच्चे भी प्रभावित होंगे। इसलिए अब यह जरूरी है कि बच्चे इस तीसरी लहर की संभावना से बचने के लिए तैयार रहें।

Covid-19 महामारी के दौरान माता-पिता की क्या भूमिका है?

इस पान्डेमिक के समय दिनचर्या, रहन-सहन सब बदल गया है और बड़ों को घर से काम करना पड़ रहा है और बच्चों को घर से ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे समय में माता-पिता पर पहले से कहीं अधिक जिम्मेदारियां होती हैं।

माता-पिता घर में बच्चों की अच्छी देखभाल कर रहे हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में माता-पिता के लिए ऐसा करना आसान नहीं है।

अब जबकि दूसरी लहर और तीसरी लहर की आशंका से लोगों की स्थिति खराब हो गई है, बच्चों में बहुत बेचैनी है।  कुछ बच्चों ने अपना तापमान बार-बार जांचना शुरू कर दिया है, COVID-19 के लक्षण Google करते रहते  हैं और अपने हाथों को कई बार धोते  रहते हैं। ये बच्चों में बेचैनी होने के लक्षण हैं। हममें से किसी ने भी अपने जीवन में ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी थी।

यह स्पष्ट है कि महामारी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है।

बच्चे लगातार अपने स्वयं के स्वास्थ्य, अपने माता-पिता के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित रहते हैं। वे अपने दोस्तों से न मिल पाने, अपने दोस्तों के साथ खेलने, स्कूल न जाने से बेचैन महसूस करते हैं।

बच्चों के मन में कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। कई बार माता-पिता के लिए बच्चों के सवालों का जवाब देना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि अब बच्चों के मन में ऐसे सवाल हैं, जिनका सही जवाब मां-बाप के पास नहीं है. फिर भी, माता-पिता को बच्चों की समस्याओं को हल करना आवश्यक होता है।

Covid -19 महामारी के दौरान माता-पिता को बच्चों के सवालों का जवाब कैसे देना चाहिए?

बच्चे कोविड -19 को लेकर अक्सर सीधे और परेशान कर देने वाले प्रश्न पूछते हैं। ऐसे में अगर माता-पिता सवालों का जवाब नहीं देंगे तो बच्चों के मन में डर बैठ जाएगा। माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए संकट के समय बच्चों से बात करते समय शांत और संयम की भावना बनाए रखना महत्वपूर्ण है। स्थिति भले ही माता-पिता को भावुक कर दे लेकिन उन्हें परिपक्व बने रहना होगा।

साथ ही, यह उचित नहीं है कि माता-पिता समझाने के लिए कोई कहानी बनाऐ। माता-पिता को बच्चों की संतुष्टि के स्तर तक सभी बातों का जवाब देना चाहिए।

यदि माता-पिता के पास कोई उत्तर नहीं है, तो उनके प्रश्न का उत्तर एक अन्य प्रश्न के साथ दें,  यह जानने के लिए कि वे क्या सोच रहे हैं।

वे बच्चों से पूछ सकते हैं, “तुमने यह बात क्यों पूछी?”

इस तरह माता-पिता को इस बात का संकेत मिलता है कि बातचीत में कैसे आगे बढ़ना है।

बच्चों द्वारा पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न निम्नलिखित हैं।

जब कोई बच्चा अनाथ हो जाता है तो क्या होता है?

अगर मुझे COVID-19 हो जाए तो क्या होगा?

अगर माँ या पिताजी को COVID-19 हो जाये तो क्या होगा?

महामारी कब खत्म होने वाली है? मैं अपने दोस्तों से कब मिल सकूंगा ? और स्कूल कब जाऊँगा ?

माता-पिता द्वारा दिए गए प्रासंगिक उत्तर।

  1. ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए जिनका स्पष्ट उत्तर नहीं है, बच्चों को झूठी आशा देने के बजाय उनके साथ ईमानदार रहना सबसे अच्छा है।
  2.  माता-पिता उन्हें बता सकते हैं, ‘हम नहीं जानते कि यह कब खत्म होगा। हमारे पास हर दिन को अच्छी तरह से जीने का चांस है और हमे उसका पूरी तरह से  लाभ उठाना चाहिए।  हम केवल उन्ही चीजों को सँभालं सकते हैं और नियंत्रित कर सकते हैं जो हमारे अधिकृत हो। उसके बाहर की चीजों पर हमारा कोई जोर नहीं है।’
  3. कभी-कभी कहानियाँ बच्चों को अनिश्चितता से निपटने में मदद कर सकती हैं।
  4. सबसे पहले बच्चों की भावनाओं को सामान्य करें और उन्हें बताएं कि ऐसे परेशानी के समय पर चिंतित होना सामान्य है। हर कोई कभी न कभी परेशान हो जाता है और ऐसे समय में आपस में बातचीत करना ही समस्या से दूर करता है।
  5.  महामारी में बच्चों की ऊर्जा को हर समय उसके बारे में सोचने में न व्यतीत कर ध्यान कहीं और भी लगाना आवश्यक है। उसके लिए –

माता-पिता को अपने बच्चों के साथ कुछ शारीरिक व्यायाम करने के लिए समय निकालना चाहिए।

अपनी पसंदीदा किताब के बारे में बात करने के लिए कुछ समय निकालें जिसे आपने और बच्चों ने कभी- एक साथ पढ़ा हो।

उन्हें घर के कामों में शामिल करें और उन्हें कुछ छोटी-छोटी जिम्मेदारियां दें। इस तरह उन्हें कोई काम करने का सुख भी मिलेगा।

6. इस समय केवल महामारी ही नहीं, बल्कि अपनी मनोस्थिति सयमित रखकर अन्य बातों के बारे में भी बात करना चाहिए।

लेकिन उनके पान्डेमिक से सम्बंधित सवालों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना उल्टा पड़ सकता है।

बच्चे बहुत बोधगम्य होते हैं इसलिए माता-पिता अपनी मानसिक स्थिति को बच्चों से छिपा नहीं सकते। वे माता-पिता के हाव-भाव देखकर बता सकते हैं कि माता-पिता किसी बात को लेकर चिंतित हैं। इसलिए बेहतर है कि बच्चों से चीजें न छिपाएं और उन्हें टीकों के बारे में लेख दिखाएं। और उन्हें उन बच्चों का डेटा दिखाएं जो संक्रमित हो गए और फिर ठीक हो गए।

इस तरह बच्चे COVID-19 को एक ऐसी बीमारी के रूप में देखेंगे जो ठीक भी हो सकती है  न कि ऐसी बीमारी के रूप में जो केवल लोगों की जान ले रही है। इस ज्ञान से बच्चे कोविड-19 के संक्रमण से डरे बिना निडरता से उसका सामना करने के लिए तैयार होंगे।

7.  डर अक्सर एक अच्छा प्रेरक होता है, लेकिन अगर इसे ज़्यादा किया जाए, तो प्रेरित करने के बजाय, डर ही एक समस्या बन जाता है। इसलिए किसी बात को समझाने के लिए डर दिखाने की बजाय उसकी सच्चाई बताने की कोशिश करें।

इसलिए बच्चों को यह कहने के बजाय अपना मास्क पहनो वरना आपको COVID हो जाएगा। आपको यह कहना चाहिए कि बच्चों मास्क पहनो क्योंकि यही नियम है।

अगर बच्चे इस महामारी के बारे में बात करने से परेशान हैं, तो उनसे इस बारे में बात करना बंद करना कोई समाधान नहीं है। इसे सही ढंग से चित्रित किया जाना चाहिए। किसी की परेशानी का नाटकीय ढंग से उत्तर देने से बच्चों पर सही असर नहीं होता है।

उन्हें हर बात को सच्चाईऔर ईमानदारी से बताएं।

8. अपने मनोबल को सही बनाए रखने के लिए माता-पिता के लिए खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करता है तो यह उसके व्यवहार में, भावनाओं में परेशानी व्यक्त होनी शुरू हो जाती हैं। इसलिए माता-पिता को अपने लिए कुछ समय अलग रखना चाहिए और कुछ समय अपनी पसंदीदा गतिविधि में बिताना चाहिए।

9. बच्चों को प्रेरित करने का एक और बढ़िया तरीका है कहानियां बनाना और फिर उन्हें रोल प्ले करना। बच्चों को एक कहानी बनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है जहां कोरोनावायरस एक राक्षस है और वे अपनी सुपर पावर से वायरस को मारने के लिए सुपर हीरो बन जाते हैं। उन्हें मास्क पहनने के लिए प्रेरित करने के लिए, माता-पिता मास्क को एक सुपर हीरो के रूप में चित्रित कर सकते हैं और यह वायरस को मार देता है। इसी तरह हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

10. बच्चों को उनके पसंदीदा पात्रों के साथ कहानियाँ बनाने के लिए प्रेरित करें। यह माता-पिता को एक सुराग देता है कि बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है।

ऐसी कहानियों से उन्हें कहानी का सुखद अंत सिखाएं। यह बच्चों को यह कल्पना करने में मदद करता है कि अंत में सब कुछ अच्छा होगा।

माता-पिता और देखभाल करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए  कि बच्चे एक सौहाद्रपूर्ण वातावरण में रहे।

माता-पिता को अपने बच्चों को दंडित करने या डांटने से बचना चाहिए। इस समय जब सभी परेशान हैं तो घर का माहौल सौहार्दपूर्ण बनाए रखने के लिए कुछ बातों को नज़रअंदाज करना भी ठीक है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे काम ना करने के लिए होमवर्क ठीक से नहीं करते हैं। हो सकता है कि घर से बाहर न जाने की वजह से वे स्क्रीन पर ज्यादा समय बिता रहे हों। कभी-कभी वे  व्यायाम न करें। तो ऐसी बातों को डांट कर न समझाएं बल्कि सहजता से समझाएं।

यह कहना मुश्किल है कि कौन सी रणनीति कितनी कारगर होगी। लेकिन ‘ट्रायल एंड एरर’ अच्छे पालन-पोषण का एक हिस्सा है। अपने बच्चों के मनोविज्ञान को पूरी तरह से समझना मुश्किल है लेकिन माता-पिता कुछ गलतियाँ और सुधार करके सीखते रहते हैं क्योंकि माता-पिता कभी हार नहीं मान सकते।

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Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

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