How to teach children, यह हर Parents की problem होती है क्योंकि अक्सर बच्चों को पढ़ना अच्छा नहीं लगता।
इस आर्टिकल में हम उन Tips को जानेंगे जिनको अपनाकर Parents बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
Visual content विजुअल कंटेंट की हेल्प ले :
How to teach children आजकल विजुअल का जमाना है। हर कंटेंट को विजुअली ही देखना चाहता है, क्योंकि विजुअली देखने से समझना बहुत easy हो जाता है । जो चीज हम सामने देख रहे हैं, अगर हम उसको पढ़ने, और समझने की कोशिश करें तो वह दिमाग में बैठ जाती है। जब यह चीज़ बड़े लोगों के साथ applicable है, तो बच्चों के साथ तो यह बहुत ज्यादा इफेक्टिव होती है।
बच्चे हर चीज विजुअली देख के बहुत जल्दी समझ जाते हैं । और अगर उनको पेरेंट्स बिना visual के समझाना चाहते हैं, तो उन्हें उसमे मुश्किल होती है। क्योंकि वह अभी भी दुनिया को पूरी तरह से समझे नहीं है, इसलिए विज़ुअल्स के साथ पढ़ाई ज्यादा इफेक्टिव होगी।
How to teach children बहुत जल्दी समझ में भी आ जाता है। इसी तरह से जब बच्चे थोड़े से बड़े होते हैं तो उनको हिस्ट्री समझानी होती है या साइंस सिखानी होती है तो वह भी real example दिखा कर समझा सकते है। हिस्ट्री में आप historical पिक्चर्स दिखा के उन चीजों को सिखा सकते हैं।
इसलिए सबसे पहले पढ़ाई को जितना हो सके विजुअली सिखाने की कोशिश करें।
2 बच्चों को पढ़ाई Fun activity की तरह से पढ़ाएं :
पढ़ाई करना – यह नाम ही बच्चों के लिए कई बार बहुत बोरिंग हो जाता है क्योंकि पढ़ने में उनको मजा नहीं आता है। उनको लगता है यह बोरिंग काम है। इसलिए बच्चों को पढ़ाने के लिए पेरेंट्स की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही होती है कि How to teach children. जब भी वह पढ़ने को बोलते हैं तो बच्चे उससे दूर भागना चाहते हैं। फिर उनको कैसे अट्रैक्ट करें, यह समझना बड़ा मुश्किल होता है। इसलिए आप कोशिश करें कि पढ़ाई को पढ़ाई की तरह ना कराके एक fun activity form में कराएँ ।
आप उनसे यह कह सकते हैं कि हम लोग मिल कर पढ़ाई करेंगे और देखेंगे कि कौन ज्यादा अच्छा करता है। इससे उनके अंदर एक healthy competition की feeling develop होती है। इसको एक एक्टिविटी की तरह करने से बच्चों को यह नहीं लगता है कि वह अब पढ़ाई जैसी कोई बोरिंग चीज करने जा रहे हैं।
इसलिए पढ़ाई की शुरुआत किसी खेल के form में करिए। ताकि बच्चे उसकी तरफ अपने आप attract हो। इस तरह से बच्चे को पढ़ना बोरिंग नहीं लगेगा और वह आपको ज्यादा परेशान नहीं करेंगे।
3 Rote learning या रटना की जगह concept clear करें:
आप उनको रोट लर्निंग के लिए बिल्कुल एडवाइस ना करें। बचपन से ही उनको इस तरह से सिखाना शुरू करें, कि वो जो भी चीज सीख रहे हैं उसका कांसेप्ट उनको क्लियर हो। वह हर चीज में why का question ढूंढे कि ऐसा क्यों हो रहा है, यह क्या है? ताकि उनको जब कांसेप्ट क्लियर होगा, तो जो subject आप समझा रहे हैं, वो अपने आप हो उनको समझ में आ जाएगा। किसी भी चीज को यूं ही लर्न कर लेना, रटना जिसको कहते हैं, तो रोट लर्निंग को आप बिल्कुल प्रमोट मत करिए, हर चीज को समझाने की कोशिश करिए और बच्चों से उसको पूछिए, कि क्या उनको वह चीज समझ में आई है।
4 पढ़ाई को बोरिंग न बनने दें :
बच्चों को बोलिए कि वह आपके टीचर बन जाएं। जो आप सिखा रहे हैं या बच्चे जो लर्न करके स्कूल से आए हैं , अब वो आपको पढ़ाएं। यह एक बहुत अच्छा मेथड है, जिससे बच्चों को जो भी उन्होंने सीखा है वह पूरी तरह से समझ आ जाता है। क्योंकि जब वह समझाएंगे तो आपको भी क्लियर होगा कि बच्चों को कितना समझ आया है। और अगर कहीं कोई improvement करने की जरूरत है या कुछ correct करने की जरूरत है, तो आप उसको वहीं पर correct भी कर सकते हैं। इस तरह से बच्चों का concept बहुत अच्छी तरह से clear होगा और उनको मजा भी आएगा। इस तरह से भी आप मेथड अप्लाई कर सकते हैं ताकि बच्चों को पढ़ाई बोरिंग ना लगे ।
5 बीच बीच में ब्रेक दें :
इसी तरह से बच्चों का जो attention span बहुत कम होता है, आधा घंटा का होता है या 40-45 इससे ज्यादा नहीं होता है। कोशिश करें कि पढ़ाई को बीच-बीच में ब्रेक करें। ब्रेक करने से उनको यह कम बोरिंग लगेगा और उनको आगे पढ़ने के लिए ज्यादा एनर्जी नहीं रहेगी।
आप बीच में कोई snacks का ब्रेक कर सकते हैं। कभी कोई जूस का ब्रेक कर सकते हैं, तो ऐसे में बच्चों को एक attraction भी रहेगा कि मैंने इतना पढ़ लिया अब मुझे यह snacks मिलेगा । फिर जूस मिलेगा, खाना मिलेगा या थोड़ी देर के लिए टीवी देखने को मिलेगा। आप बीच में कोई गेम भी खेल सकते हैं। इस तरह से बीच-बीच में ब्रेक देने से यह एक्टिविटी बिल्कुल बोरिंग नहीं होगी और उनको भी अच्छा लगेगा।
6 बच्चों को प्रेज़ करेँ :
उनको आप प्रेज भी करते चलिए। जो भी वह पढ़ रहे हैं, अगर उनको अच्छी तरह से समझ में आ गया है या आपने उनका टेस्ट लिया और उन्होंने ठीक किया है, तो उसके लिए आप उनको प्रेस करिए। इससे भी उनको मोटिवेशन मिलता है।
ऐसा नहीं है कि आप हमेशा बहुत बड़ी कोई सक्सेस को ही प्रेस करें। छोटी-छोटी सक्सेस , अचीवमेंट , उसको भी आप प्रेस करिए। आप कुछ छोटे-छोटे गिफ्ट भी दे सकते हैं। जैसे आपने कोई टेस्ट लिया और उसने बहुत अच्छा किया तो उसके मनपसंद आप चॉकलेट लाके दे सकते हैं। इस तरह से बच्चों के मन में इंस्पिरेशन भी रहता है कि मैं अच्छा करूंगा तो मुझे कुछ मिलेगा।
जो भी आप गिफ्ट दे रहे हैं, प्राइस दे रहे हैं, उसको आप पहले से मत बताइए, जब वह अचीव कर लें तब आप उनको दीजिए। अदरवाइज उनके मन में पढ़ाई केवल प्राइस पाने के लिए एक लालच की तरह हो जाएगा। जब भी वह कुछ अच्छा करते हैं, तब आप उनको कोई भी उनकी मनपसंद चीज दे सकते हैं। वह जरूरी नहीं कि आप बाजार से लेके आए। घर में जो भी है उसको आप बना के खिला सकते हैं या उसके फेवरेट कोई टीवी शो को थोड़ी देर देखने दे सकते हैं। इस तरह की कोई भी चीज को आप कर सकते हैं जिसमे बच्चों को अच्छा लगता हो
7 बच्चों को किसी से कम्पेयर न करें :
किसी के साथ कंपेयर ना करें, बिल्कुल नहीं। आपको पढ़ाते समय कोई ऐसा comparisons नहीं करना है कि देखो तुम्हारा फ्रेंड है, वह कितना अच्छा करता है। या बच्चे का भाई बहन है, उससे आप कंपेयर करें। यह गलती, बिल्कुल मत करिए। इस तरह से कंपेयर करने में बच्चे बहुत ज्यादा dishearten होते हैं और उनकी self esteem भी लो हो जाती है। ना केवल पढ़ाई में बल्कि in general भी उनकी सेल्फ एस्टीम लो हो जाती है। अच्छा हो कि किसी भी तरह का कंपटीशन आप उसके सामने मत रखिए। उसका परफॉर्मेंस बेस्ट बनाने की कोशिश करिए। सबसे best नहीं बल्कि उसका जो बेस्ट परफॉरमेंस है वह निकालने की कोशिश करिए। औरो से कंपैरिजन करने को गलती बिल्कुल भी मत करिए।
8 बच्चों को समय दें:
बच्चों को आप हमेशा समय दीजिए। कभी यह मत सोंचिये कि बच्चे अब खुद कर लेंगे, वह तो बड़े हो रहे हैं, इतना काम तो खुद कर सकते हैं। आप उन्हें सिखाइए की यह अच्छी बात है , लेकिन आप यह भी एक्सेप्ट करिए कि बच्चे छोटे हैं। और उनको अभी अपने साथ में बैठाकर या मोटिवेट करके पढ़ाई करानी पड़ेगी। अगर आप उसमें actively लगेंगे तो definitely बच्चों का परफॉर्मेंस अच्छा होगा, क्योंकि वह छोटे हैं अभी उनकी उतनी हैबिट नहीं होती है कि वह खुद बैठ के अपने आप पढ़ाना शुरू करें।
और फिर बीच-बीच में आप ब्रेक ले सकते हैं कि थोड़ी देर के लिए आप उठ गए कुछ और काम करने लगे ।और फिर आकर उनको चेक कर लिया ।तो उसे धीरे-धीरे उनकी आदत डालिए कि वह खुद भी पढ़ना स्टार्ट करें। ऐसा नहीं है कि हर समय आपको वहां बैठने की जरूरत है लेकिन शुरू में आपको साथ में ही बैठना पड़ेगा। और जैसे-जैसे बच्चों का ध्यान अपनी पढ़ाई में लगे, वह उसकी तरफ अट्रैक्ट हो, उनको responsibility फील होने लगे, तब आप धीरे-धीरे withdraw करिए और बच्चों को खुद पढ़ने के लिए inspire करिए।
9 Revision रिवीज़न पर ज़ोर दें:
एग्जाम्स की तैयारी करने के लिए उनको रिवीजन काफी कराए । कभी भी उनको रोट लर्निंग की तरफ ना बढ़ने दें, उनको कांसेप्ट समझाएं और साथ में रिवीजन्स कराए। रिवीजन करने से जो भी चीज या कांसेप्ट है वह उनके मन में बिल्कुल पूरी तरीके से बैठ जाती है । और वह एग्जाम में भी बहुत अच्छा परफॉर्म करते हैं । तो उनका स्टडी शेड्यूल ऐसा करिए कि एग्जाम के पहले उनके रिवीजनस काफी अच्छा हो जाए। ताकि उनको एग्जाम में कोई अलग से मेहनत करने की जरूरत ना पड़े।
पढ़ाई का एक शेड्यूल जरूरी है, वह आप उनसे daily, monthly, yearly बनवाइए । आप बच्चों के साथ लगिए ताकि वो धीरे-धीरे सीखे कि किस तरह से उनको पढ़ाई अपने आप से करनी है। आगे चल के वह कैसे स्टडी शेड्यूल को बनाएंगे । लेकिन अभी चूंकि छोटे हैं तो उनके साथ आप मिल के इस चीज को पूरा करिए।
10 बच्चों पर दबाव ना बनाये :
इसके अलावा बच्चों को अच्छे grades लाने का कोई दबाव मत डालिए । अच्छा रिजल्ट अपने आप ही आएगा, क्योंकि अगर बच्चों ने अच्छे से पढ़ाई करी है और रिवीजनस किए हैं तो उनके ग्रेड्स अच्छे जाएंगे। उसका प्रेशर ना आप लीजिए और ना ही बच्चों पर डालिए। बच्चे स्ट्रेस फ्री होकर एग्जाम देंगे और वह अपना बेस्ट परफॉर्म करेंगे । आप अगर ग्रेड्स को लेके चिंतित रहते हैं तो इसका नेगेटिव असर बच्चों के परफॉर्मेंस पर पड़ेगा । हमेशा उनको फ्री होकर पढ़ने दे और कभी भी रिजल्ट का या ग्रेड्स का कोई प्रेशर उन पर ना डाले।
11 पढ़ाने में Self Control रखिये –
अगर आपको पढ़ाई करते समय इन सब टिप्स को फॉलो करने के बाद भी सक्सेस नहीं मिल रही है, बच्चे का मन नहीं लग रहा है या उसको कोई कांसेप्ट समझ नहीं आ रहा है, तो कई बार पेरेंट्स इरिटेट हो जाते हैं कि How to teach children. लेकिन आपको अपने ऊपर कंट्रोल करना है। यानी इसमें आपको सेल्फ कंट्रोल की बहुत जरूरत है। इस तरह के प्रॉब्लम आने पर बच्चों को बहुत सपोर्ट करिए, उनको अगर क्लियर नहीं हो रहा है तो बार-बार उसको समझाइए। different तरीका अपनाइए, हो सकता है बच्चा एक तरीके से ना समझ रहा हो पर कोई इफेक्टिव दूसरा तरीका हो, जिससे समझ आ जाए उसको तो उसको समझाइये । लेकिन कभी भी उसको demoralize मत करिए, डांटिए नहीं, तो उसका मन पढ़ाई में हमेशा लगा रहेगा।
निष्कर्ष- How to teach children:
How to teach children, इन बातों ध्यान में रख के अगर आप बच्चों को इफेक्टिवली पढ़ाई कराएंगे तो आप देखेंगे कि बच्चे हमेशा अच्छी पढ़ाई करते हैं। उनका परफॉर्मेंस अच्छा रहता है और वह भी बिना स्ट्रेस के । तो इस तरह से ना आपको स्ट्रेस रहेगा और ना ही उनको । How to teach children इन टिप्स को फॉलो करके बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए एक पूरा ब्लूप्रिंट बन जाएगा। उनको समझ आ जाएगा कि आगे चलकर सीनियर क्लासेस में अपने आप से कैसे पढ़ना होगा ।