ज्यादातर पैरेंट्स के लिए बच्चों का होमवर्क, टेस्ट और exams की तैयारी करवाना या उन्हें स्कूल के लिए रेडी करना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि बच्चे ऐसा करना नहीं चाहते, उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। और यही पैरेंट्स की चिंता का कारण बन जाता है। ऐसे में पैरेंट्स फील करते हैं कि बच्चे अभी पढ़ने पर ध्यान नहीं दे रहे तो उनके भविष्य और करियर का क्या होगा। इस टेंशन में कभी कभी वो बच्चों को ऐसी बातें कह देते हैं जो नहीं कहनी चाहिए और दूसरे बच्चों से कंपैरिजन भी करने लगते हैं जो बिलकुल गलत है।
पैरेंट्स को ये बात समझनी होगी कि बच्चे का इस उम्र में पढ़ाई में इंटरेस्ट न होने से उनके करियर या भविष्य का कोई लेना-देना नहीं है। पढ़ाई में उनकी रुचि न होने के कई कारण हो सकते हैं; हो सकता है बच्चा क्लास में बुली हो रहा हो, किसी टीचर से उसे प्रॉब्लम हो, पीयर प्रेशर, स्कूल में कोई दिक्कत हो या फिर कोई स्वास्थ्य समस्या हो जिसके बारे में क्लीयर्ली बता नहीं पा रहा/रही हो।
यह बात समझने के लिए पेरेंट्स इसको अपनी लाइफ से कोरिलेट कर सकते हैं। उनको भी लाइफमें बहुत प्रेशर्स होते हैं। मान लीजिए कि आप अपने ऑफिस जाते हैं और किसी दिन आपसे कोई काम ठीक नहीं हुआ, बॉस ने आपकी इंसल्ट कर दी। या आपका कोई कॉलीग आपको tease कर देता है जो आपको अच्छा नहीं लगता है, लेकिन आपको रोज उससे मिलना है।
और जब आप घर आते हैं तो आपको घर के कामों के लिए भी आपको ब्लेम किया जाता है। घर में भी कोई आपकी फीलिंग्स समझ नहीं पा रहा है, तो ऐसे में आपका टेंशन में आना, aggressively react करना कितना नेचुरल है। किसी प्रॉब्लम में जब आपकी फैमिली आपको समझ नहीं पाती है कि आप किस स्ट्रेस से गुजर रहे हैं तो आप कितने हेल्पलेस हो जाते हैं।
उसी तरह से हो सकता है कि बच्चों के भी मन में कुछ इस तरह की बातें हो जिसकी वजह से उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है। बच्चों को मालूम है कि उनको पढ़ना है, अच्छे ग्रेड्स लाने हैं, सब लोग तारीफ भी तभी करेंगे, लेकिन तब भी उनका मन नहीं लग रहा है, ऐसे में वो हेल्पलेस फील करते हैं। इस हालात में पेरेंट्स को प्यार से, बात करके यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि क्या ऐसा रीजन है, जिसके कारण बच्चे पढ़ नहीं रहे हैं, इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं। पेरेंट्स अगर बच्चों के प्रॉब्लम को समझेंगे और उसपर वह वर्क करेंगे तो पढ़ाई में मन ना लगने वाली प्रॉब्लम खत्म हो जाए।
Parents के लिए यह बात समझना भी बहुत इंपॉर्टेंट है कि हर बच्चा डिफरेंट होता है। इसलिए ऐसा नहीं होगा कि एक स्ट्रेटजी हर बच्चे पर इफेक्टिव होगी। आपके अपने बच्चों में भी कई बार बहुत डिफरेंस होता है, इसलिए आप उनसे अलग अलग तरीके से situation के according deal करते हैं। आपको यह समझना होगा कि आपके बच्चे के लिए क्या चीज एप्लीकेबल होगी।
इस आर्टिकल में हम लोग उन स्टेप्स को डिस्कस करेंगे जिनको फॉलो करके आप बच्चों को पढ़ने के लिए motivate कर सकते हैं। इससे आपकी भी प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी और बच्चों को भी किसी तरह का स्ट्रेस नहीं होगा।
हेलो फ्रेंड्स आई एम योर होस्ट अंशु।
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1 Hindrance to Freedom
सबसे पहले हम उन बच्चों की बात कर रहे हैं जो बच्चे पढ़ाई में अपने आप को कंट्रोल्ड फील करते हैं। उनको ऐसा लगता है कि पेरेंट्स उनको पढ़ाई में बांधे हुए हैं। उनकी फ्रीडम को छीन रहे हैं। उन्हें स्कूल भेजा जा रहा है, जबकि उनको वहां पर पढ़ना अच्छा नहीं लग रहा है। ऐसा नहीं है कि वह बच्चे इंटेलिजेंट नहीं है या उनको किताबें पढ़ना अच्छा नहीं लगता है, बस उनको किसी और के कहने पर जो पढ़ना पड़ रहा है वो बात उन्हें तंग करती है। वह जो खुद करना चाहते हैं बस उतना ही पढ़ना चाहते हैं। मींस, कि वो पूरी तरह से फ्री रहना चाहते हैं और जब उनको पेरेंट्स या टीचर्स कोई पर्टिकुलर सब्जेक्ट पढ़ने के लिए बोलते हैं तो उनको वह चीज इरिटेट करती है क्योंकि उनको पढ़ाई में भी अपनी फ्रीडम इंजॉय करने का मन होता है। यह इसलिए कि उनको स्टडीज की इंपॉर्टेंस नहीं मालूम है, उनको इस बात की clarity नहीं हैं कि स्टडीज करने से आगे चलकर उनको क्या फायदा होगा? जो बच्चे इस behavior की category में आते हैं, उनको अगर आप फ्यूचर या करियर के बारे में बताएँगे तो उन्हें समझ नहीं आएगा, वह उससे अपने आप को रिलेट नहीं कर पाएंगे।
उन बच्चों को स्टडीज क्यों इंपॉर्टेंट है यह सिखाने के लिए स्टडीज को प्रैक्टिकल एग्जांपल से, इंटरेस्टिंग technique से समझाने की कोशिश करें। उसके लिए आप विजुअल एड्स की भी हेल्प ले सकतेहैं , कुछ रिलेटेड फिल्म से दिखा सकते हैं, आप स्टोरीज की हेल्प से सीखा सकते हैं। कोई कांसेप्ट सिखाने के लिए अपने बच्चे का कोई फेवरेट कार्टून कैरेक्टर हो, आप उससे रिलेट करें और छोटी-छोटी स्टोरीज फॉर्म करें, जिससे कि बच्चे पढ़ाई में दिलचस्पी लेना शुरू करें। youtube पर इस तरह के चैनल्स हैं जो उन कांसेप्ट को बहुत अच्छे से सिखाते हैं तो आप उनकी हेल्प ले सकते है।
ऐसे सिखाने से बच्चे खुद को उस टॉपिक से रिलेट करेंगे तब उनका इंटरेस्ट स्टडीज में बढ़ेगा। इस स्टेज पर आप करियर या ग्रेड्सके बारे में फोकस न रखे। क्योंकि ग्रेड्स या करियर बनाना है इससे अभी बच्चा अपने आप को उससे रिलेट नहीं कर पायेंगे। अभी बच्चों के लिए पढ़ाई में इंटरेस्ट जगाना और उसे बनाये रखना सबसे जरूरी है।
2 जो स्कूल में पढ़ाया जाए उसे घर में revise करवाएं /Summarize the subjects that are being taught in school.
इंटरेस्ट डेवलप ना होने का कारण यह भी हो सकता है बच्चे को स्कूल की पढ़ाई समझ नहीं आ रही हो। उसको टीचर का टीचिंग मेथड नहीं समझ में आ रहा है। और जब कोई कांसेप्ट क्लियर नहीं होता है तो उस चीज में इंटरेस्ट आना बिल्कुल पॉसिबल नहीं है। इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए आप किसी भी सब्जेक्ट के लेसन को घर से पहले से पढ़ाकर स्कूल भेजें। पेरेंट्स को थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन अगर आप ऐसा तो बच्चे को स्कूल में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी और उसका मन धीरे-धीरे पढ़ाई में लगने लगेगा।
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3 Getting addicted to computer games
रिसर्च में देखा गया है कि जो बच्चे 13 इयर्स से कम है और उनका स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा हैं तो वह कंप्यूटर और उन वीडियो गेम के addiction का शिकार हो जाते हैं और इस कारण भी उनका पढ़ाई में मन कम लगता है। इसलिए अगर आपके बच्चों का स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा है और वह उन गेम्स में ज्यादा इनवॉल्व हो गए हैं तो पेरेंट्स को तुरंत इसपर सही एक्शन लेना चाहिए। ऐसा नहीं है कि आप पूरी तरह से इस आदत को खत्म कर सकते हैं लेकिन उनका इंटरेस्ट धीरे-धीरे कंप्यूटर गेम से हटा के रियल गेम्स की तरफ डाइवर्ट करने की कोशिश करिये। आप बच्चों को पार्क्स ले जाइए, बाहर फ्रेंड्स के साथ खेलने के लिए इनसपायर करिये। आप कोशिश करिए कि धीरे-धीरे यह इंटरेस्ट बिल्कुल खत्म हो जाए। क्योंकि यह गेम्स होते तो बहुत इंटरेस्टिंग हैं पर इसमें उनका टाइम कितना वेस्ट हो जाता है यह पता ही नहीं चलता। इसलिए बच्चों का ध्यान पढ़ाई मेंज्यादा लगे इसके लिए कंप्यूटर गेम्स की जगह रियल गेम्स में इंटरेस्ट डेवेलोप करें।
4 पेरेंट्स के बिजी होने के कारण tutor की जरूरत /Busy Parents- Need for Tutors
कई बार पेरेंट्स इतने बिजी होते हैं कि बच्चों के लिए उनके पास उतना टाइम नहीं होता है कि वो बैठ के पढ़ाई करा सके। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि बच्चे जिस स्टेज पे हैं, उनको आप कितने भी महंगे टॉयज या गेम्स दे दें और आप उनको अकेला छोड़ दें तो आप देखेंगे कि वो अकेले उसको भी नहीं खेलना चाहेंगे। केवल कंप्यूटर वीडियो गेम्स की बात अलग है जो खुद अपने आप में एडिक्टिव होते हैं l लेकिन मोस्टली बच्चे किसी गेम को भी अकेले नहीं खेलना चाहेंगे। उनको लगता है कि कोई ना कोई उनके साथ हो। अगर खेलने के लिए उन्हें साथी चाहिए तो पढ़ाई करने के लिए किसी का साथ होना बहुत जरूरी है। इसलिए पेरेंट्स के पास अगर टाइम नहीं है तो आपको होम ट्यूटर रखना भी बहुत जरूरी है। यह केवल पढ़ाई के लिए नहीं है, उनको हो सकता है कि स्टडीज को समझने की प्रॉब्लम ना हो जितना कि उनको एक कंपनी चाहिए जो उनके साथ बैठे उनको डिसिप्लिन करें। और कहीं पर कोई कांसेप्ट नहीं क्लियर हो तो वो उनको क्लियर कर दे। क्योंकि बच्चों को एक कंसिस्टेंसी चाहिए। तो जो बिजी पेरेंट्स है उनको होम ट्यूटर भी ऐसा ढूंढना चाहिए जो बच्चे की प्रॉब्लम को समझ सके और उसको fix कर सकें। होम ट्यूटर को भी टाइम टू टाइम आप जरूर मॉनिटर करते रहें ताकि बच्चों की अगर कोई प्रॉब्लम डेवलप हो रही है तो वह आप tutor से डिस्कस करें। और उस प्रॉब्लम का जो सॉल्यूशन निकल सकता है वह निकाले। अगर आप खुद पढ़ा रहे हैं लेकिन आपका खुद का स्केड्यूल इतना रेगुलर नहीं है तो वह बच्चों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है, उससे उनकी पढ़ाई में इंटरेस्ट खत्म होता है। उनको रेगुलर बैठना चाहिए, सेम टाइम पर बैठना चाहिए। तो अगर पेरेंट्स के पास रेगुलर पढ़ाई कराने का टाइम नहीं है तो आपको होम ट्यूटर जरूर लगाना चाहिए। और तब जब भी आपको टाइम मिले तो बच्चों के साथ कैजुअल डिस्कशन कर सकते हैं कि उनकी पढ़ाई कैसी चल रही है, किस सब्जेक्ट में उनको अच्छा लग रहा है, ट्यूटर के साथ कैसा लग रहा है।
5 – Focus on making the Concept of Lessons clear
अगर आप खुद ही पढ़ा रहे हैं और आपको लग रहा है कि ऐसे कुछ सब्जेक्ट जैसे हिस्ट्री, ज्योग्राफी, साइंस नहीं समझ आती है या मैथ में प्रॉब्लम होती है तो ऐसे में आप google से उस कांसेप्ट को समझने की कोशिश करिए। किसी ने अगर उसको बेहतर तरीके से सिखाया है तो उसे उसी इंटरेस्टिंग फॉर्मेट में बच्चों के सामने प्रेजेंट करिए। ताकि उसकी कांसेप्ट को बच्चे समझ सके और जब भी कोई कांसेप्ट समझ में आता है तो सबजेक्ट में इंटरेस्ट अपने आप आ जाता है। जैसे कई बच्चों को मैथ्स में हायर लेवल पर भी उनको प्रॉब्लम होती है और वह मैथ को लेकर बहुत फियरफुल हो जाते हैं। उनको लगता है यह हमे समझ नहीं आएगा । ऐसे में पेरेंट्स अगर उनके बेसिक कैलकुलेशन जो फ्रैक्शंस के हो सकते हैं इक्वेशंस के हो सकते हैं उनकी प्रैक्टिस कराये तो इससे बच्चों को बहुत कॉन्फिडेंस आएगा। जब उनके बेसिक स्ट्रांग हो जाएंगे, उन कांसेप्ट को अच्छी तरह से समझने लगेंगे तो डेफिनेटली उनको मैथ जैसे सब्जेक्ट में भी इंटरेस्ट आएगा। और अगर आप वन मंथ की प्रैक्टिस करा दे तो आप देखेंगे कि मैथ की तरफ एकदम से उनका एक इंटरेस्ट शिफ्ट हो गया। मैंने संस्कृत जैसा सब्जेक्ट जो बच्चों को नहीं पसंद होता था या बहुत कम बच्चों को अच्छा लगता था मैंने 10 डेज किसी को पढ़ाया और उसके बाद उसके कांसेप्ट इतना क्लियर हो गया कि उस बच्चे को सब्जेक्ट में इंटरेस्ट आ गया।
यह चीज हम लोग रियल लाइफ में भी देखते रहते हैं। अगर हम लोगों को कोई नया कांसेप्ट बताते हैं तो वो हम लोग जल्दी सीखना नहीं चाहते हैं और उस तरफ हमारा रुझान भी नहीं होता है। अभी हाल में मेरे बेटे ने न्यूट्रिशन पे काफी रिसर्च की और उसने मुझे मसल बिल्डिंग, और वेट लिफ्टिंग की इंपॉर्टेंस बताई। मसल्स बॉडी बिल्डिंग के लिए, बहुत सारी वाइटल एक्टिविटीज के लिए बहुत जरूरी है। हम लोग की जैसे जैसे एज बढ़ती है तो हमारी मसल्स स्ट्रेंथ कम होने लगती हैं और नई मसल्स नहीं बनती हैं। नए मसल्स बनाने के लिए वेट लिफ्टिंग एक सॉल्यूशन है। आप डाइट में कितना भी प्रोटीन ले लें , लेकिन अगर आपने वेट लिफ्टिंग नहीं करी या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग नहीं करी तो वो प्रोटीन आपकी बॉडी के लिए उतना उसूल नहीं होता है इतना होना चाहिए। मसल्स का होना बहुत इंपॉर्टेंट है, यह बात वह हमे समझा रहा था लेकिन हम समझना नहीं चाह रहे थे। फिर उसने साइंटिस्ट्स के वीडियोस दिखाए, उसकी पूरी साइंस को इंटरेस्टिंग वे में समझाया तो हम लोगों को इंटरेस्ट आया। और उसका असर ये हुआ कि हम लोग ने अपनी एक्सरसाइज प्लान में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और वेट लिफ्टिंग को भी इंक्लूड किया है। पॉइंट यह है कि जब हम लोग किसी भी कांसेप्ट को समझते हैं तो हमारा इंटरेस्ट उसमें अपने आप आता है तो बच्चों के साथ भी सेम चीज है l
6 Studies Without Any Purpose
अगर स्टडीज बिना किसी Purpose के की जाए तो उस चीज में कोई मोटिवेशन नहीं होगा और बच्चों को कुछ भी नहीं क्लियर होगा कि ये हम लोग क्यों कर रहे हैं। लेकिन जिस स्टेज के बच्चे यह होते हैं यह फ्यूचर लाइफ को और करियर को यह समझ नहीं सकते हैं तो आपके लिए हर सब्जेक्ट में इंटरेस्ट डेवलप करना ही ऑब्जेक्टिव होना चाहिए। आपका गोल यह बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि उसका करियर क्या बनेगा। अभी आपका गोल बच्चों को ऐसे मोटिवेट करना है जिससे स्टडीज की तरफ उनका झुकाव बढ़े। यह तभी पॉसिबल है जब आप उसको एंटरटेनिंग वे में एक्सप्लेन करेंगी/करेंगे। स्टडीज के प्रैक्टिकल यूज दिखाएंगे जो डेली लाइफ से relatable हों। जैसे बच्चों को शॉपिंग करने ले जाएं तो उन्ही से कैलकुलेशन कराएं तो और उसको बताएं कि देखो तुमने मैथ पढ़ी इसलिए तुम कैलकुलेट कर पा रहे हो। इस तरह के प्रैक्टिकल uses से आप उन्हें स्टडीज का purpose क्लियर करा सकते हैं।
7 Heavy Workload Causing Burn Out
एक बात का ध्यान पेरेंट्स को रखना चाहिए कि वह यह भी देखें कि
बच्चों के ऊपर वर्क लोड ज्यादा तो नहीं है। ऐसा तो नहीं कि पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चे हर चीज में एक्सेल करें। वह ना केवल स्टडीज में बल्कि हर एक्स्ट्रा कुरिकुलर एक्टिविटीज में भी बहुत अच्छे हो, म्यूजिक भी अच्छा सीख जाएं, मार्शल आर्ट भी अच्छा कर ले। तो जब हम लोग इतना एक्सपेक्ट करने लगते हैं तो बच्चों पर वर्क लोड बहुत बढ़ जाता है। वह टायर्ड फील करते हैं और अंत में वो cope up नहीं कर पाते तो गिव अप कर देते हैं। उनको लगता है हमसे कुछ भी नहीं होगा और उनको फिर मोटिवेट करना बहुत मुश्किल होता है। इस तरह उनका इंटरेस्ट पढ़ाई में भी खत्म हो जाता है।
8 -Do not Compare children with friends बच्चों को दूसरों से कंपेयर करना –
पेरेंट्स अक्सर बच्चों को उनके फ्रेंड्स , कजिंस से compareकरते हैं और यहाँ तक की सिब्लिंग्स से ही उनका कंपैरिजन करते है। यह बच्चों के लिए बहुत ज्यादा पेनफुल होता है , उनको समझ ही नहीं आता है कि उसमें वह क्या रिएक्ट करें। बस वो डीमोटिवेट हो जाते हैं। उनका सेल्फ एस्टीम भी लो हो आता है और कभी कभी यह उन्हें लाइफ लॉन्ग परेशान करता है। बच्चों को किसी भी तरह से दूसरों से कंपेयर ना करें। आप समझने के लिए इसको अपने ऊपर अप्लाई करिए। सोचिये अगर आपको अपनी किसी कजन से कंपेयर किया जाए, फ्रेंड से कंपेयर किया जाए, कॉलीग से कंपेयर किया जाए तो आपको कैसा लगेगा। कंपैरिजन किसी को भी नहीं अच्छा लगता है। सभी को लगता है कि वह जैसे हैं, उनका जो potential हैं उनको वैसे ही एक्सेप्ट किया जाए। हम लोग जब ऐसा सोचते हैं तो समझिये कि बच्चे भी वैसे ही सोचते हैं। इसलिए आप बच्चों को किसी और से कंपेयर ना करें। हर एक की अपनी एक लिमिटेशन होती है। हर बच्चा किसी चीज एक चीज में एक्सेल कर सकता है, सब में नहीं कर सकता। या मेबी वह किसी चीज में एक्सेल ना करें तो भी क्या हुआ। वो उसकी लिमिट है। तो उसको जैसे वो है उसको वैसे ही एक्सेप्ट करें, आपके लिए भी अच्छा है, बच्चों के ग्रोथ के लिए तो यह बहुत जरूरी है। तो इसका जरूर ध्यान रखें कि बच्चों को कभी किसी से कंपेयर करने की कोशिश ना करें वो जैसे हैं उनको वैसे ही एक्सेप्ट करें। और जिस दिन आप ऐसा कर लेंगे तो
आप देखेंगे कि बच्चे एक्चुअली अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। हम लोग के कंपैरिजन करने से या ज्यादा एक्सपेक्ट करने से बच्चे खुल के अपना पोटेंशियल को एक्सप्लोर नहीं कर पाते हैं। इसलिए बच्चो को एक्सपेक्टेशन से फ्री कर दे और उनकी परफॉरमेंस की नेचुरल ग्रोथ होने दे।
9 Make your Home environment Study friendly
आप घर का एटमॉस्फियर अच्छा बना सकते हैं जिसमें कि उनका स्टडी की जगह बहुत कंफर्टेबल हो, airy हो, कोजी सी प्लेस हो, प्रॉपर लाइटिंग हो, सेटिंग अच्छी हो, कमरे में कुछ अच्छी चीजें जैसे उनके फेवरेट स्टार्स या फेवरेट कार्टून के पोस्टर्स लगे हो, रूम कलरफुल हो, क्योंकि बच्चों को कलरफुल चीजें अच्छी लगती हैं। साथ में घर का भी एक कॉर्डियल एटमॉस्फियर रखिए। आपस में अगर आप लोग का कोई डिस्कशन है जो कि बच्चों को नहीं सुनना चाहिए वह अलग करें। उसको जरूरी नहीं कि आप घर पे ही सॉर्ट आउट करें , बाहर जा सकते हैं। अगर घर का एटमॉस्फियर अच्छा होगा, खुशनुमा होगा तो वह भी हेल्प करता है बच्चों को स्टडीज की तरफ इंटरेस्ट लेने में।
10 बच्चों की hobbies को support करें और उन्हें praise करें
बच्चोंकी हॉबीज या जो भी वह काम कर रहे हैं, उसको praise करिए। बच्चों की सराहना करना एक बहुत ही अच्छा मोटिवेटर का काम करता है। जरूरी नहीं कि बच्चों का अच्छे ग्रेड्स आए तब आप praise करें, अगर उन्होंने एक लेसन अच्छे से पढ़ लिया है, उनको समझ में आ गया है तो आप उनको praise करिए। और इस तरह से चीजों को अच्छा करने के लिए वह इंस्पायर करेंगे तो आप देखेंगे कि बच्चे पढ़ाई में भी मन लगा रहे है।
इसलिए आप ध्यान दे कि उनको किन चीजें में इंटरेस्ट है। वह कुछ भी हो सकता है जैसे उनको प्लेनेट्स देखना अच्छा लग सकता है, एनिमल्स अच्छे लगते हैं, नेचर अच्छा लगता है, उसको स्टोरी सुनना अच्छा लगता है तो उन्हें उनकी choices के लिए भी praise करिए।
11 बच्चों के प्रश्नों का जवाब दें
समझने की कोशिश करिए कि बच्चे की क्यूरियोसिटी किस ओर आ रही है और आप उस को पढ़ाई से कैसे कनेक्ट कर सकते हैं। कई बार आप देखेंगे कि जैसे आप कोई सब्जेक्ट पढ़ा रहे हैं और बच्चे कुछ और पूछने लगे जिसका उस सब्जेक्ट से कोई कनेक्शन नहीं है डिफरेंट है। अक्सर आप उस समय उसकी क्यूरियोसिटी को पूरा नहीं करते हैं। आप कहते हैं कि पढ़ाई पर फोकस करो , तुम यह क्या पूछ रहे हो , ये हम लोग बाद में बात करेंगे। पर वो बिल्कुल मत करें, जो बच्चे की क्वेरी है, तो आप उसकी क्वेरी का जवाब दीजिए। और फिर वापस फोकस पढ़ाई पे लेके आइए। बच्चों जिज्ञासा को शांत करिये और कई बार आंसर नहीं मालूम होते हैं तो google करिए। और मालूम करके उसको रिप्लाई करिए। उससे बच्चों की क्यूरियोसिटीऔर सही सवाल पूछने की भी स्किल और मजबूत होती है। साथ में वह आपसे कनेक्टेड फ़ीक करते हैं। पढ़ाई अच्छी कराने के लिए पेरेंट्स का कनेक्शन भी बहुत जरूरी है।और साथ में यह बच्चों के माइंड को डेवलप करने में बहुत ज्यादा हेल्प करता है। क्यूरियस चिल्ड्रेन बहुत इंटेलिजेंट होते हैं साथ में वह एक्स्ट्रोवर्ट भी होते हैं।
अगर क्यूरियोसिटी नहीं है तो बच्चों के अंदर क्यूरियोसिटी को और जगाने की कोशिश करें। आप ही क्वेश्चंस पूछे ताकि बच्चों को इस तरह का माइंड सेट बने कि वो चीज़ों को समझना चाहे, मैटर को समझना चाहेl
याद रखें, किसी भी चीज़ या गतिविधि में बच्चों का ध्यान तब लगता है जब पूरा ध्यान पैरेंट्स पर लगता है। पेरेंटिंग बेबी स्टेप्स की तरह होती है, धीरे-धीरे हम सीखते हैं और बेहतर होते हैं। मैं जल्द ही पेरेंटिंग से संबंधित नए आर्टिकल के साथ वापस आऊंगी आपके स्क्रीन पर। तब तक के लिए कृपया इस आर्टिकल पर लाइक, शेयर और कमेंट करें।
