हम जब कभी बीमार पड़ते हैं तो अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास जाते हैंl
वहां से स्वस्थ होकर वापस आ जाते हैंl
लेकिन जब डॉक्टर बीमार होता है तो वह अपना इलाज खुद करता है क्योंकि उसको बीमारी का कारण और उसको दूर करने का तरीका मालूम होता हैl
इसी प्रकार से जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां और समस्याएं आती हैं जब हमें अपना खुद का डॉक्टर बनना जरूरी हो जाता है।
जीवन में अनचाही समस्याओं का आना एक आम बात है लेकिन उनके आने पर हम अक्सर विचलित हो जाते हैं।
यह समस्याएं भी बीमारी की तरह हैं, जिनका सही तरीके से अगर इलाज किया जाए तो वह दूर हो जाती हैं।
आमतौर पर विपरीत परिस्थितियों के होने पर हमारा दृष्टिकोण निराशावादी हो जाता है और हमारे पास उसका समाधान होने के बावजूद भी हम उन परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाते हैं।
लेकिन, अगर कोई दूसरा अपनी परेशानी हमें बताता है तो हम उनको कुछ ना कुछ उपाय जरूर बता देते हैं।
यह आश्चर्य की बात है कि हम दूसरों की समस्याओं का समाधान आसानी से ढूंढ लेते हैंl
परंतु, जब स्वयं ऐसी परेशानियों में होते हैं तो हमारा विवेक काम नहीं करता।
इस लेख में स्वयं की समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए कुछ उपायों का विवरण दिया जा रहा है,
सबसे पहले आपको स्वयं अपना दोस्त बनना होगा।
इसके लिए आप स्वयं को दर्पण में देखिऐl
जिसे आप देखेंगे वह आपका सच्चा मित्र है।
जिस तरह से आप अपने दूसरे मित्रों, रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों की मदद करते हैं उसी तरह से आप इस मित्र की मदद करें।
इस मित्र की मदद करने के लिए आपको क्या करना होगा?
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१ सब कुछ ठीक होगा:
सबसे पहले एक मंत्र, जो है ‘ सब कुछ ठीक होगा’ अपने मित्र को इस पर विश्वास दिलाइए कि हर परिस्थिति में सब कुछ ठीक होगाl
यह सुनने में एक छोटा सा मंत्र लगता है परंतु इसका अर्थ बहुत गहरा हैl इस बात का अर्थ यह है कि परिस्थितियों का परिणाम ठीक हो जाएगा।
केवल सही रास्ता चुनना ही बाकी रह गया है।
यह तय करना है कि किस रास्ते पर चला जाए कि परिस्थितियां बदल जाए और सब कुछ ठीक हो जाएl
इसलिए अपने मित्र को इस मंत्र पर विश्वास करने की सलाह दें।
२ आशावादी दृष्टिकोण के उपाय:
आशावादी दृष्टिकोण बनाने के कुछ सुझाव दें, जैसे खुली हवा में सैर करना,
एक्सरसाइज करना,
खेल खेलना,
घूमने जाना,
शॉपिंग करने जाना या अपने मनपसंद म्यूजिक सुनना, मूवी देखना या अन्य कोई भी काम जो मन को प्रसन्न करता हो उसे करने के लिए आग्रह करेंl
इस बात को मानने का दिल नहीं करता है लेकिन अपने मित्र को समझाएं और इस तरह के काम करने के लिए प्रेरित करेंl
ऐसा कोई भी काम जो मन को प्रसन्न करता है वह मन के अंदर के तनाव को कम कर देता है और सोचने की क्षमता को बढ़ा देता हैl
सोचने समझने का दृष्टिकोण भी आशावादी बनता हैl
इसलिए समस्याओं का हल ढूंढने से पहले अपने मन और मस्तिष्क को आशावादी दृष्टिकोण बनाने के लिए ऐसा करना अति आवश्यक है।
३ किसी मित्र, संबंधी या काउंसलर से बात करने के लिए सलाह दें:
क्योंकि अपने मन की बात को किसी और के साथ संवाद करने से उस समस्या का हल ढूंढा जा सकता हैl
अच्छा होगा कि प्रोफेशनल काउंसलर के साथ बात की जाएl
निष्कर्ष यह है कि अपने मन की बात किसी ऐसे व्यक्ति से जरूर करें जो आपकी समस्याओं को समझ सकता हो।
४ समस्याओं का समाधान करने के लिए समय और धैर्य की आवश्यकता होती है:
धैर्य एक ऐसा गुण है जो समस्याओं को सुलझाने में एक अहम रोल निभाता हैl
समस्याएं कभी-कभी धागे में पड़ी उलझनओं की तरह होती हैl
जैसे धागा उलझ जाने पर उसे सुलझाना बहुत मुश्किल लगता है, लेकिन अगर धागों के सिरे को ढूंढकर और एक-एक करके उसकी गांठो को खोलेंगे तो हम एक ही बार में सारी गाठी खोल लेंगे।
लेकिन, अगर हम एक साथ सभी उलझनों को सुलझाने की कोशिश करेंगे तो उलझन है और बढ़ जाएंगी।
इसलिए किसी भी समस्या को सुलझाने में समय और धैर्य का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है।
आपकी जॉब चली गई है जिसके कुछ कारण होंगेl
अगर आप थोड़ा समय देंगे तो हो सकता है कि आप उनके कारणों पर भी प्रकाश डालेंगे कि जिस वजह से जॉब छूट गई हैl
हो सकता है कि वह कारण ऐसे हैं जिन पर आपका कोई जोर नहीं हो जैसे कि ग्लोबल रिसेशन, ले ऑफ कंपनी का आदि.
उन कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है और उनका धीरे-धीरे समाधान निकालते हुए नई जॉब ढूंढने का प्रयत्न करेंl
अगर आप सोचेंगे कि तुरंत ही कोई नई और मनपसंद जॉब मिल जाए तो शायद आपकी उलझन बढ़ जाएगीl
परंतु समय और विवेक से काम लेंगे तो आपको एक अच्छी जॉब जरूर मिल जाएगी।
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५ यथार्थवाद और वर्तमान में जीना सीखें:
पिछली घटनाएं जो हो चुकी या आगे आने वाले समय में क्या होगाl
इस पर आपका या किसी का भी नियंत्रण नहीं होता हैl
नियंत्रण केवल इस पल का है जो आपके हाथ में हैl
तो जो पल आपके हाथ में है उसको सही तरीके से जिएंगे तो अगला पर जरूर बेहतर होगा।
६ एक-एक दिन को जीने की कोशिश करें:
बहुत लंबी प्लानिंग करने से दिमाग और मन पर तनाव पैदा होता हैl
हर दिन को अगर आशावादी और सार्थक रूप से जिया जाए तो जीवन की समस्याएं धीरे-धीरे अपने आप ही दूर हो जाती हैl
जीवन को अधिक गहराई से ना सोचेl एक-एक दिन को जिए।
गौर से देखेंगे तो आपको अपनी समस्या एक आम समस्या दिखाई पड़ने लगेगीl
क्योंकि जॉब का जाना यह केवल आपकी समस्या नहीं हैl
उसी तरह पारिवारिक कलह, यह केवल आपके परिवार के उलझन नहीं हैl
आमतौर पर इस तरह की समस्याओं से बहुत लोग सामना कर रहे हैंl
हर व्यक्ति अपने अपने ढंग से उसका सामना करता है और उसका हल निकलता है।
तो आप भी अपने जीवन को बेहतर बनाने की ओर धीरे-धीरे कदम बढ़ाए।
७ स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखें:
अच्छा होगा कि जो कार्य आपको पसंद हो वह करें ताकि आपका ध्यान समस्याओं से हटकर दूसरी तरफ मुड़ जाए।
इससे आपके मन और मस्तिष्क दोनों का तनाव कम होगा और आप आशावादी दृष्टिकोण की तरफ बढ़ेंगे।
८ जीवन में सुख और दुख दोनों को स्वीकार करें:
जीवन सुख और दुख का संगम हैl
इसलिए जिस प्रकार से सुख को यथार्थ रूप से स्वीकार करते हैंl
समान रूप से दुखों को भी यथार्थ रूप में ही स्वीकार कर लेना ज्ञानी लोगों का सिद्धांत होता हैl
किसी का भी जीवन ऐसा नहीं है जिस में कभी कोई भी उलझन, समस्या या दुख ना मिलेl
जीवन सुख और दुख दोनों से ही भरा हुआ है इस बात को स्वयं को समझाने का प्रयत्न करें।
सोचने योग्य बात यह है कि क्या आजकल हम लोग अपने जीवन की परिस्थितियों के इतने अधीन हो चुके हैं कि हमारा विवेक नहीं काम करता?
हम सबके जीवन में इस तरीके की परिस्थितियों का सामना होता है,उपरोक्त बिंदुओं के अलावा अगर आपके मन में कोई और विचार आते हैं, तो इस पोस्ट के नीचे कमेंट सेक्शन पर लिखकर जरूर बताएं
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