अध्याय-6 अभिनव का ड्रामा
अपनी बंदूक की सारी गोलियाँ डाकू के सीने में दागकर अभिनव ने अपनी मुछों पर ताव दिया और बंदूक अपने कंधे पर रख ली।
गाँव के सारे लोगों ने आकर उसे हाथ जोड़कर शुक्रिया किया।
अभिनव तो एक हीरो था, उसने गाँव वालों को हाथ जोड़ने से मना किया और उनसे कहा “आप सब आराम से रहिए।
अब कोई डाकू आप को परेशान नहीं करेगा मैं आ गया हूँ किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है।”
गाँव वाले तो चले गए लेकिन अभिनव के सामने एक नई चुनौती थी और वह था गाँव में आतंक फैलाने वाला एक बड़ा और शक्तिशाली शेर।
अभी वह उसके बारे में सोच ही रहा था कि शेर सामने आ गया।
शेर बहुत ही खतरनाक था।
अचानक शेर का मुँह देखकर अभिनव ज़ोर से चीखा।
“क्या हुआ अभिनव? क्यों चिल्लाए इतनी ज़ोर से, बाहर निकलो, बाथरूम में कितनी देर लगा रहे हो?”
मम्मी की आवाज़ सुनकर अभिनव को अपनी गलती का अहसास हुआ।
“लगता है ज्यादा ज़ोर से चिल्ला दिया।” उसने सामने देखा तो शेर गायब था। उसे अपनी ही शक्ल शीशे पर दिखाई दे रही थी।
“अभी निकलता हूँ मम्मी।
ब्रश कर लूँ फिर आता हूँ।”
अभिनव बाथरूम के अंदर से बोला।
“अरे इतनी देर हो गई अभी ब्रश ही नहीं किया है।
स्कूल बस आने वाली होगी। तुम्हें तैयार होना है और नाश्ता भी करना है।”
अजिता का चेहरा गुस्से में लाल होने लगता था।
अभिनव के पास रोज़ ही स्कूल न जाने का कोई न कोई बहाना रहता था। जब से स्कूल में होम वर्क मिलना शुरू हुआ है उसका स्कूल से मन हटने लगा था।
पिछले साल केवल खेलना और मस्ती करना होता था तब आराम से स्कूल चला जाता था।
लेकिन इस साल वह स्कूल और टीचरों से बहुत गुस्सा रहता और उन्हें गंदी मैम कहकर ही बुलाता।
अजिता ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, कभी कुछ लालच देती कभी उसे प्रोत्साहन देती लेकिन कुछ नहीं बदला।
अभिनव ने साफ मना कर दिया कि वह नहीं पढ़ेगा और बड़ा होकर छक्कन अंकल की तरह दूध बेचेगा।
अभिनव अक्सर अपनी दादी के साथ दूध लेने जाता था।
सुबह-सुबह काफी लोग वहाँ आते और उस डेयरी का मालिक छक्कन सिंह दूध की बाल्टी रखकर बैठ जाता और सबके बर्तन में दूध नापकर डालता जाता।
उसे देखकर अभिनव को बड़ा मज़ा आता था और उसे भी दूध बेचने का मन होता।
“बाहर निकलते हो या मैं तुम्हारे टिफिन से सैंडविच खा जाऊँ?” अजिता अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली
“सैंडविच! मम्मी खा जाएगी।”
जैसे ही अभिनव ने सुना तो सामने टॉम एंड जैरी की लड़ाई में जैरी की मदद करना छोड़ कर उसने मुँह का टूथपेस्ट जल्दी से वाँशबेशीन में थूका और चिल्लाया “नहीं मम्मी! मैं आ रहा हूँ आप नहीं खाना।
मैं जल्दी आ रहा हूँ।”
सैंडविच का नाम सुनकर अभिनव के मुँह में पानी आ रहा था। बाथरूम में काफी देर से रहने के कारण उसे अब ज़ोर से भूख लग आई थी।
फिर उसने गाँववालों और जैरी को उनके हाल पर छोड़कर जल्दी से नहाया और अपना सैंडविच बचाने के लिए बाथरूम से बाहर आ गया।
“पहले तो मम्मी इस तरह केवल डराती थी लेकिन अब सच में सैंडविच खा लेती हैं।
कुछ दिन पहले टिफिन में हलवा रखा था, और जब वह पेट दर्द का बहाना बनाकर स्कूल जाने के बजाए जाकर बिस्तर पर लेट गया तो मम्मी ने पूरा हलवा उसके सामने ही बैठ कर खा लिया।
कितनी गंदी है मम्मी। कोई ऐसे किसी का टिफिन खा लेता है क्या?”
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