Ajita Chapter 5 : ससूराल की मुसीबत
सासू माँ को दो दिन बाद गाँव से आना था,
तो उसे विश्वास हो गया था कि उसके मायके जाने वाली बात किसी को पता नहीं चलेगी।
लेकिन विजय ने बताया कि अम्मा की ख़ास सहेली मिश्रा आंटी ने उसे अजिता के मायके से निकलते समय देख लिया है और अगर उन्होंने यह बात घर में बता दी तो भूचाल आ जाएगा।
“आप घबराइए नहीं, अगर उन्होंने बता दिया तो मैं कह दूँगी कि मैंने ही जिद्द की थी बल्कि आपने तो मना किया था।
इसलिए जो कुछ कहना होगा मुझे कह दिया जाएगा।
आप परेशान नहीं होइये।
अजिता पसीना पोछती हुई किचन से बाहर आते हुए बोली।
उसका गोरा चेहरा गर्मी से लाल हो गया था।
वह आकर कमरे में पंखे के नीचे खड़ी हो गई।
विजय ने उसे देखा और सोचने लगा कि जिसे इस उम्र में कॉलेज जाना चाहिए था वो गर्मी मे आठ-दस लोगों का खाना बना रही है।
उसे अपने ऊपर ग्लानि हो रही थी कि क्यों उसने अजिता को शादी के पहले पढ़ाई जारी रखने का अश्वासन दिया था।
उसे अपने घर के माहौल से लगता नहीं है कि अजिता अब आगे पढ़ पाएगी।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी अजय ने दरवाजा खोला बाहर से मिश्रा आंटी की आवाज़ सुनाई दी।
मिश्रा आंटी की आवाज़ सुनते ही विजय की धड़कने बढ़ गई।
अटकले लगाने लगा कि वह अभी क्यों आई होंगी।
‘अम्मा गाँव गई हैं, यह तो उन्हें मालूम था।
वह घर तभी आती थी जब अम्मा हो।
क्या बात हो सकती है।
कहीं वह उन्हें वही बात बताने तो नहीं आई हैं।’
बाहर से आ रही आवाज़ सुनकर अजय ने कहा अरे नहीं आंटी, भईया भाभी तो दोपहर को ही घर पर आ गये थे।
ट्रेन थोड़ी लेट थी इसलिए घर आते आते चार बज गये थे।
चाचा जी जल्दी खाना खाते हैं ना इसलिए भाभी तो अब तक खाना बना भी चुकी हैं।
अगर देर से आती तो इतनी जल्दी कैसे बना पाती।
अजय जान बूझकर तेज़ बोल रहा था ताकि विजय और अजिता सुन लें कि वह मिश्रा आंटी से क्या कह रहा है।
मिश्रा आंटी धीरे बोलती थी इसलिए वह क्या कह रही थी सुनाई नही पड़ रहा था।
अजय फिर बोला, “हो सकता है भाभी के घर से उस समय कोई और जा रहा होगा और आपको लगा होगा कि भईया भाभी हों।
आपको तो मालूम है कि विजय भईया बिना अम्मा से पूछे कोई काम कर नहीं सकते। हाँ मैं उनकी जगह होता तो शायद कर सकता था।”
फिर अजय ने आवाज़ लगाई “भईया देखिए मिश्रा आंटी आई हैं, आप लोगों से मिलने बाहर आ जाइए।
विजय की झूठ बोलने की आदत नहीं थी लेकिन अजिता की परेशानी बढ़े नहीं इसलिए उसने बिगड़ती हुई बात बना ली।
मिश्रा आंटी को पहले विश्वास तो नहीं हुआ लेकिन बाद में वह इस बात से सहमत हो गई कि उन्होंने जिसे देखा था वो कोई और रहा होगा।
उन्हें मालुम था कि विजय झूठ नहीं बोल सकता और बिना अपनी अम्मा से पूछे कोई काम नहीं कर सकता।
अजिता ने भी उन्हें गरम हलवा और आलू की पकोड़ी चाय के साथ बनाकर खिलाई तो वह सारी बातें भूलकर, जितनी देर रही अजिता की तारीफ़ ही करती रही।
अजिता को पता था कि मिश्रा आंटी को खाने में क्या चीज़े पसंद है।
गाँव में इतने दिन रहकर अजिता परिवार, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के पसंद नापसंद के बारे में काफ़ी जान चुकी थी।
मिश्रा आंटी के जाने के बाद विजय ने अजय से पूछा,
“तुम्हें कैसे पता चला कि हम लोग अजिता के मायके गये थे”
“मुझे नहीं पता था वह तो मिश्रा आंटी ने ही बताया मैं तभी समझ गया था कि आप लोग वहाँ गए होंगे क्योंकि आपकी ट्रेन तो जल्दी आ जाती है।
पहले मैं सोच रहा था कि आप लोग कहीं और घूमने गए होंगे।
लेकिन भईया आपने यह बहुत अच्छा किया कि भाभी को उनके पापा मम्मी पापा से मिलवा दिया।”
“लेकिन अगर किसी और को पता चल गया तो अजिता की खैर नहीं।” विजय बोला
उसके चेहरे पर अभी तक डर दिख रहा है।
“कैसे पता चलेगा आंटी को? अब विश्वास हो गया है कि वह कोई और था और भईया मैं तो बताऊँगा नहीं।” मुस्कुराते हुए अजय बोला।
अजय संजीदा होकर बोला, “डरिए मत भईया। यह कोई पाप नहीं है।
पता चल भी जाए तो क्या होगा? मम्मी पापा से ही तो मिलने गई थी भाभी।”
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