Ajita Chapter 10 : बर्थडे पार्टी
अगले दिन अजिता जब सोकर सुबह उठी तो उसे तेज़ सर दर्द हो रहा था।
उसे फिर से वही सपना दिखाई पड़ा जो उसे अभिनव के जन्म के बाद से दिखता आ रहा था।
सपने में उसे एक बड़ा सा हॉस्पिटल और कुछ अंक दिखाई देते थे।
वैसा हॉस्पिटल उसने कभी भी नहीं देखा था और जो अंक दिखते थे, वह हर बार वही होते थे।
अजिता, जब भी वह सपना देखती, उसे अगले दिन सुबह सरदर्द जरूर होता।
पता नहीं क्या रहस्य था उसमें।
पहले अजिता डरती थी कि कहीं इसका मतलब यह तो नहीं कि कोई बीमार पड़ने वाला है, लेकिन भगवान की कृपा से ऐसा कभी नहीं हुआ।
फिर भी अजिता जानना चाहती थी कि इस सपने का क्या मतलब है क्योंकि उसे यह विश्वास हो गया था कि उस सपने का अजिता के जीवन से कोई न कोई संबंध जरूर था।
खैर वह बिस्तर से उठी क्योंकि उसे विजय के लिए चाय बनानी थी।
कल की घटना को याद आते ही उसका दिल सहम गया।
पास में सोये अभिनव को देखकर उसे राहत मिली।
भगवान का शुक्रिया करके वह तैयार होकर किचन में चली गई, उस दिन स्कूल से लौटकर अभिनव बहुत खुश था, क्योंकि शाम को उसके दोस्त नीरज की बर्थडे पार्टी थी।
नीरज का घर ठीक सामने था, काफी बड़ा बंगला था उसका।
बंगले में कई कमरे और बाहर बड़ा सा लॉन था जिसमें घास के ऊपर एक झूला लगा था।
शाम को नीरज के दोस्त उसके घर जाते और झूला झूलते थे।
अभिनव को भी नीरज के घर में बहुत अच्छा लगता।
नीरज की माँ सुनन्दा, अजिता की सहेली थी इसलिए बर्थडे पार्टी में अजिता को भी बुलाया था।
अजिता को उनके घर जाने में बहुत संकोच होता था इसलिए वह उनके घर कभी अंदर नहीं गई थी।
उन लोगों की मुलाक़ात अक्सर मार्केट में हो जाती थी।
“मम्मी, मैं क्या पहनूँगा? मेरे पास कोई नई ड्रेस नहीं है,”
अभिनव के चेहरे पर थकान और परेशानी दिख रही थी।
स्कूल से लौटते ही उसने अपने कपड़ों की अलमारी पूरी बेड पर खाली कर दी थी और कुछ जमीन पर गिरे हुए थे।
“यह क्या किया बेटा।”
काम फैला देखकर अजिता पास में रखी कुर्सी पर बैठ गई।
अभी तो वह किचन का काम समेट कर आई थी कि जाकर थोड़ी देर आराम करे लेकिन जिस तरह से अभिनव ने कपड़े फैला दिए थे उसे सेट करने में काफी समय लगाना पड़ेगा।
“मैं कपड़े ढूँढ रहा हूँ, मम्मी, यह सब तो पुराने हैं।
नीरज के तो नए कपड़े आए हैं,” अभिनव अपनी मम्मी की गोद में चढ़ कर बोला।
उसे जब भी कुछ चाहिए होता है तो वह अजिता की गोद में चढ़कर, उनका चेहरा अपने हथेलियों के बीच में रखकर अपनी बात कहता है।
अजिता अपने बेटे की इस मासूमियत पर निहाल होकर उसकी बात पूरी कर देती है।
“बेटा, आज नीरज का जन्मदिन है, तुम्हारा नहीं, इसलिए नये कपड़े नीरज को पहनने चाहिए, उसके दोस्तों को नहीं।
तुम्हें वह नीली शर्ट और जींस पहननी चाहिए।
उसमें तुम बिलकुल हीरो लगते हो।
उनके साथ नये वाले शूज पहन लेना, फिर देखना कितने स्मार्ट लगोगे।”
अजिता अभिनव के बालों को सहलाते हुए बोली।
उसे मालूम था कि अभिनव को कैसे मनाना है।
“सच मम्मी! मैं हीरो लगूँगा?”
“हाँ बिलकुल। मैं झूठ थोड़े ही बोल रही हूँ।”
“ठीक है, मैं अभी तैयार हो जाता हूँ,” अभिनव गोदी से उतरते हुए बोला।
“अरे अभी नहीं बर्थडे पार्टी तो शाम को होगी, तब तक कपड़े गंदे हो जाएँगे अभी तुम आराम करो, फिर शाम को चलेंगे।”
“मैं थका नहीं हूँ मम्मी! आराम करने से देर हो जाएगी, सब बच्चे तैयार होकर पहुँच जाएँगे।”
“अभी बहुत जल्दी है, तुम आओ, मैं तुम्हें एक नई कहानी सुनाती हूँ।”
कहानी के नाम पर अभिनव, अजिता के साथ आ गया।
अभिनव को बिस्तर में लिटा कर अजिता ने कहानी सुनाई तो थोड़ी देर में ही अभिनव को नींद आ गई।
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