Ajita Chapter 11: अपना प्यारा घर
अभिनव के सोने के बाद अजिता उठी और सारे कपड़े अलमारी में सेट किये फिर शाम की पार्टी में जाने के लिए अपनी साड़ी देखने चली गई।
सुनन्दा के घर जाने के लिए अजिता ने अपनी सबसे पसंदीदा पिंक कलर की साड़ी निकाली।
वैसे तो अजिता हमेशा ही सुंदर दिखती थी लेकिन पिंक साड़ी में उसका गोरा रंग और भी खूबसूरत लगता।
शाम को वे दोनों समय से पार्टी में पहुँच गये।
बंगले की खूबसूरती उस दिन देखते ही बनती थी, रोशनी से जगमगा रहा था, अंदर हॉल को गुब्बारों, फूलों और रंगबिरंगों झालरों से सजाया गया था।
वातावरण में सुगंध फैली हुई थी।
बच्चे संगीत की धुन पर नाच रहे थे।
अजीता ने इससे पहले कभी ऐसी जन्मदिन पार्टी नहीं देखी थी।
बंगला परिवार की अमीरी और शोहरत को प्रकट कर रहा था।
अभिनव दौड़कर अपने दोस्तों के बीच पहुँच गया।
एक बड़ा सा केक हर बच्चे की आँखों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।
मेज़ तोहफों से भरी पड़ी थी, कुछ बच्चे महँगे खिलौने से खेल रहे थे।
अजिता ने सुनन्दा को बधाई दी। सुनन्दा उसे कमरे के भीतर ले गई।
“तुम हमेशा अपने कामों में व्यस्त रहती हो, अजिता! मैंने कभी तुम्हें आराम से बालकनी में बैठे हुए नहीं देखा।
तुम्हें याद होगा हम आखिरी बार बनिये की दुकान में मिले थे, वह भी करीब छह महीने पहले।
कौन कहेगा की हम आमने-सामने रहते हैं।” सुनन्दा अपने बैठक कक्ष में एक सुंदर से सोफ़े पर बैठते हुए बोली।
उसकी क्रेप की साड़ी झूमर की रोशनी में काफी चमकदार और आकर्षक दिख रही थी।
“तुम कैसे समय निकाल लेती हो?” अजिता ने सुनन्दा से पूछा।
अजिता को सुनन्दा के परिवार की हर जानकारी अपनी सास से मालूम हो जाती थी जो अक्सर सुनन्दा के घर आती-जाती रहती थी।
उन्होंने अजिता को बताया था कि सुनन्दा का परिवार काफी मिलनसार स्वाभाव का था और वे लोग अपना प्यारा घर अतिथि सत्कार भी बहुत करते हैं।
घर की देख-रेख के लिए दो घरेलू सहायक पूरे दिन रहते थे और सुनन्दा ख़रीदारी करने में, पार्लर जाने में और गपशप करने में बहुत व्यस्त रहती थी।
हालाँकि दोनों महिलाओं का स्वभाव काफी अलग था पर दोनों में आत्मीयता बहुत थी; प्रेम में कोई शर्त नहीं होती।
पार्टी खत्म होने के बाद नीरज और उसके दोस्त तोहफे खोल कर देखने लगे।
उनमें कई खिलौने, कपड़े, घड़ी और भी कई तरह के तोहफे थे।
इतने अच्छे तोहफे देखकर सभी दोस्त बहुत खुश थे।
अभिनव भी अपना रिटर्न गिफ्ट देखकर बहुत खुश था, उसमें चाकलेट से भरा एक बाक्स था।
घर पहुँच कर अभिनव अपने पिता को पार्टी के बारे में बताने के लिए काफी उत्साहित था
लेकिन देर काफी हो चुकी थी इसलिए अजिता ने उसे सोने जाने के लिए कहा।
अजिता को पहली बार अपना घर साधारण लग रहा था।
उसकी धनवान सहेली के मकान जैसा कुछ भी मेल नहीं खा रहा था पर फिर भी वह उसका “अपना प्यारा घर” था।
अपना प्यारा घर
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