Ajita Chapter 9: ज्योति की सूझबूझ

Picture of nature flowers butterfly an beetles

Synopsis

वह तो अच्छा हुआ ज्योति के दिमाग में यह बात आ गई नहीं तो आज बहुत परेशानी होती।

Ajita Chapter 9: ज्योति की सूझबूझ

“कोई उठाकर तो नहीं ले गया।” अजिता का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा।

वह न्यूज़ पेपर में अक्सर पढ़ती है कि कभी-कभी कुछ लोग बच्चों को अगवा कर लेते हैं।

अजिता ने कभी किसी के साथ कुछ बुरा नहीं किया और न विजय ने,  ऐसे में फिर कोई क्यों उनके बच्चे को ले जाएगा।

अजिता को अचानक विचार आया कि इसकी रिपोर्ट पुलिस में करा देनी चाहिये।

“विजय बाहर गए थे, उन्हें कैसे बताएँ? ऑफिस फोन करना पड़ेगा।

ऑफिस का फोन नंबर डायरी में लिखा है।

ऊपर जाकर ले आती हूँ, फिर सामने डाक्टर की क्लीनिक से फोन कर दूँगी।

विजय से बात हो जाए तो पुलिस में रिपोर्ट करा दूँ।”

सामने से बनर्जी साहब आ रहे थे बोले” बहन जी अभी तो अभिनव का कुछ पता नहीं चल पाया है।”

वह बात पूरी कर पाते इसके पहले अजिता बोली,

“भाई साहब क्या पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दें।

अभी बहुत देर नहीं हुई है, पुलिस जल्दी ढूँढ लेगी।”

अजिता खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी ताकि वह अभिनव को ढूँढने में कदम बढ़ा सके।

“हाँ बहन जी, यह ठीक रहेगा।

आप मेरे साथ चलिए पुलिस थाने रिपोर्ट लिखवा आते हैं और उनसे अभिनव को जल्दी ढूँढने के लिए प्रार्थना करेंगे।

आप अभिनव की एक फोटो ले आइए।”

“आंटी-आंटी! अभिनव मिल गया।”

जिन शब्दों को सुनने को वह बेकरार थी उनके कानों में पड़ते ही अजिता ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी नज़र अभिनव पर पड़ी जो अपने हाथों में ढेर सारे फूल पकड़े, डरा हुआ सा ज्योति और गुरिंदर के साथ चला आ रहा था।

“लो संभालो अजिता, अपने लाडले को।

पार्क के अंदर अकेले फूल तोड़ रहा था।”

अजिता को किसी की बात सुनाई नहीं पड़ रही थी।

बेचारा अभिनव भौचक्का सा गोदी में दुबका हुआ था।

उसे तो पता ही नहीं था कि उसकी मम्मी जो सुबह इतना गुस्सा कर रही थी, वह अभी रो क्यों रही है।

उसके हाथ में जो फूल थे वह सब नीचे गिर गए थे।

वह फूलों को उठाने के लिए गोदी से उतरना चाहता था।

यह देखकर गुरिंदर और ज्योति दोनों ने मिलकर उसके फूल उठाए और उसके बैग में डाल दिए, तब जा कर अभिनव को चैन आया।

“मम्मी, पता नहीं क्यों रो रही है। मैं तो आ ही गया हूँ।”

अभिनव सोच रहा था।

उसे क्या मालूम था कि उसकी माँ की जिंदगी के वह कुछ मिनट उन्हें कुछ सदियों का एहसास करा गए होंगे।

उन चंद लम्हों ने अजिता की जिंदगी के मायने ही बदल दिए।

जिस माँ और बच्चे के रिश्ते को वह केवल प्यार और ममता का रिश्ता समझ रही थी।

वह उससे कहीं ज्यादा ज़िम्मेदारी का भी होता है।

अभिनव को गोद में लिए वह जैसे-जैसे सीढ़ियाँ चढ़ती जा रही थी उसके मन में जिम्मेदारियाँ का एहसास और बढ़ता जा रहा था।

घर पहुँचने पर सभी बिल्डिंग के लोग अजिता को बधाई देने पहुँच गए।

आसपास के लोगों को भी इस घटना का पता चल गया था तो वह भी अजिता से मिलने आए।

सबके जाने के बाद अजिता ने ज्योति से पूछा, “तुम्हें कैसे मालूम पड़ा कि अभिनव पार्क में होगा।”

“आंटी, हम लोग जब स्कूल से लौटते हैं, तो पार्क में ढ़ेर सारे फूल दिखाई पड़ते हैं।

अभिनव ने कई बार पार्क में चलने को कहा लेकिन हम लोग कभी गए नहीं।

इसलिए मुझे लगा कि हो सकता है अभिनव वहीं गया होगा।”

“हाँ अजिता, ज्योति ने मुझे भी बताया था कि अभिनव स्कूल के बाद वहाँ जाने के लिए कहता है लेकिन मुझे तो यह बात याद नहीं रही।

वह तो अच्छा हुआ ज्योति के दिमाग में यह बात आ गई नहीं तो आज बहुत परेशानी होती।

अभिनव पार्क में बैठा होगा, यह तो कोई सोच भी नहीं सकता था।” गुरिंदर बोली

“मेरे लिए ज्योति आज भगवान बनकर आई है।

मैं जिंदगी भर ज्योति की आभारी रहूँगी।

अजिता ने यह कहते हुए ज्योति को अपने गले लगा लिया और उसका हाथ चूमते हुए बस इतना ही कह पाई,

“थैंक यूँ बेटा”

“ऐसी कोई बात नहीं है अजिता।

यह तो हम सबको एक दूसरे के लिए करना ही चाहिए।

आखिर अभिनव ज्योति का भाई जैसा है।

अब तुम लोग खाना खाओ। बहुत देर हो गई है।

अभिनव को बहुत भूख लगी होगी और थक भी गया होगा, हम लोग अभी चलते हैं, शाम को आएंगे। विजय भईया कब आ रहे हैं?”

“वह आज रात को आएंगे।” अजिता ने कहा और गुरिंदर और ज्योति को छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।

“गुरिंदर हम तुम्हारा धन्यवाद तो नहीं कर सकते क्योंकि तुमने जो किया है वह अनमोल है।

बस इतना कहूँगी कि मेरा भाग्य बहुत अच्छा है कि मुझे तुम जैसी सहेली मिली।

यहाँ आसपास रहने वाले सब लोगों से जो सहारा मिलता है, वह मेरे लिए किसी खज़ाने से कम नहीं है।”

अगले अध्याय के लिए इंतजार करें

अनमोल रिश्ता

 समझौता

गाँव का जीवन

अजिता की मज़बूरी

ससूराल की मुसीबत

अभिनव का बहाना

अजिता की उलझन

Sign up to receive new posts

Subscribe to get e-book

.

Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

Follow me on
Like this article? Share.

Leave a Reply

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email

Popular Posts

error: Alert: Content is protected !!