Ajita Chapter 12: होली की तैयारी
कुछ दिनों में होली आने वाली थी। होली की तैयारी हो रही थी।
अजिता काफी दिन पहले से उसकी तैयारी में लग जाती और अभिनव को भी होली में बहुत मज़ा आता था इसलिए अजिता अब पहले से ज्यादा तैयारी करने लगी थी।
होली की छुट्टियों में अजय घर आने वाला था।
अजिता अगर किसी से डरती तो वह था अजय।
इसलिए उस दिन अजिता जल्दी सारा काम खत्म कर देना चाहती थी ताकि जब अजय आए तो उसे काम करती न दिखाई दे, लेकिन वैसा हो ना पाया।
दरवाजे पर घंटी बजी।
दरवाजा खोला तो अजय खड़ा मुस्कुरा रहा था।
अंदर आते ही खुशबू आने के कारण वह सीधा किचन में चला गया।
उसने दो मिनट में सारे डिब्बे खोलकर देख लिए कि अजिता ने क्या क्या बनाया है।
“भाभी आपके एग्ज़ाम में कुछ ही दिन बचे हैं, इस बार भी आप होली की वैसी ही तैयारी कर रही हैं” फिर कुछ सोचते हुए बोला,
“नहीं, बल्कि मुझे ऐसा लग रहा था कि हर साल आपकी तैयारी बढ़ती ही जा रही है।”
होली में अजिता तरह तरह के पकवान बनाती, पापड़ और चिप्स की तैयारी वह महिने भर पहले से शुरू कर देती है, साथ में घर की साफ-सफाई और सजावट भी शुरू कर देती थी।
अभिनव जब से थोड़ा बड़ा हुआ, तब से अजिता का उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया था।
अभिनव को भी इसमें बहुत मज़ा आता था, पूरी तैयारी में वह इन कामों में माँ के साथ ही रहता था।
“बस काम खत्म होने वाला है। आपको बेसन के लड्डू पसंद है न, वही बना रही थी।
देखिए सब तैयार हो गया है।” अजिता बोली, लेकिन उसके चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था।
वह अजय के आने के पहले काम खत्म कर देना चाहती थी ताकि अजय के आने के समय वह किचन में न दिखाई दे, लेकिन बीच में गाँव से बुआ आ गई तो उनके साथ बैठना पड़ा और उसे देर हो गई।
“क्या जरूरत थी लड्डू बनाने की, बाजार में सभी चीज़े मिलती है।
आप समझती क्यों नहीं कि यह आपका फाइनल ईयर है।
इसमें रिजल्ट अच्छा आएगा तभी पी० एच० डी० करना आसान होगा।” गुस्सा तो बहुत आ रहा था अजय को, लेकिन खुद पर सयंम रखने की कोशिश कर रहा था।
तीन महीने बाद घर आया था और आते ही गुस्सा करना अच्छा लग नहीं रहा था, लेकिन भाभी मानती ही नहीं थी।”
“पानी ले लीजिए और मन हो तो लड्डू भी ले लीजिए।” अजिता मुस्कराते हुए बोली।
मन में डर रही थी कि कहीं फिर से अजय भड़क न जाए।
अजय ने पानी हाथ में लिया और लड्डू की प्लेट लेकर टेबल पर रख दी, फिर कुछ सोचते हुए बोला,
“अभिनव कहाँ है?
दिख नहीं रहा है।
लड्डू नहीं बनवा रहा।
” चेहरे पर व्यगात्मक मुस्कराहट लिए सोफ़े पर बैठ गया और प्लेट से एक लड्डू उठा कर अजिता की ओर देखा।
“क्यों गुस्सा हो रहे है भईया? अभी अभी तो आए हैं आप।
हम लोग इतने दिनों से इंतजार कर रहे थे।
आपके आने के उत्साह में अभिनव सुबह जल्दी उठ गया था,
मेरे साथ लगा रहा कि चाचा के लिए लड्डू बन रहे हैं,
लेकिन थोड़ी देर पहले बहुत थक गया था तो सो गया है, अभी जगा देती हूँ उसे।”
अजिता सामने सोफ़े पर बैठते हुए बोली।