Ajita Chapter 13: अभिनव के ‘मेरे चाचा’
“नहीं नहीं, उसे सो लेने दीजिए, अब तो मैं रहूँगा ही तीन दिन उसके साथ,” अजय ने दूसरा लड्डू उठाते हुए कहा।
“तीन दिन? बस तीन दिन। इतनी कम छुट्टियाँ?” अजिता अजय को कम दिन आने पर हर बार ऐसे ही कहती थी।
उसे मालूम था कि प्राइवेट कंपनी में ज्यादा छुट्टियाँ नहीं ले सकते लेकिन फिर भी उसके मुँह से यह शब्द हर बार निकलते थे।
दरअसल अजय के हमउम्र होने और बातुनी होने के कारण अजिता की उससे बातें होती थी।
विजय बहुत कम बोलते थे इसलिए ससुराल में उसकी अजय के अलावा किसी के साथ ज्यादा बातचीत नहीं होती थी।
उससे खूब बातें होती।
अजय के आने पर सभी बहुत खुश होते थे।
अभिनव के ‘मेरे चाचा’ थे।
अभिनव उसे अजय चाचा न कहकर ‘मेरे चाचा’ ही कहता।
विजय भी अपनी हर छोटी बड़ी बात अजय को बताते और हर बात पर सलाह लेते।
विजय को विश्वास था कि अजय के पास हर बात का हल होता है।
“भाभी तीन दिन की छुट्टियाँ मिलना भी बहुत मुश्किल होता है।
हमारे यहाँ होली की बस एक ही छुट्टी होती है।”
अजय ने हर बार की तरह अपनी भाभी को समझाया।
“भईया आप मेरे घर के काम करने से गुस्सा क्यों होते हो।” अजिता टोकरी में रखे मटर छीलते हुए बोली।
“घर के कामों से नहीं होता हूँ।
आप अलग से दूसरे कामों में लग जाती है, उनसे नाराज़ हो जाता हूँ।
फिर अभी तो आपके फाइनल इग्ज़ाम आ रहे हैं और मैंने पिछली बार भी कहा था कि अगर अच्छे नंबर आएंगे तभी पी० एच० डी० मिलने में आसानी होगी।”
अजय अपने जूते खोलते हुए बोला।
“इग्ज़ाम तक पढ़ाई पूरी हो जाएगी, मैंने साल भर पढ़ाई की है।
होली की तैयारी करने में मुझे तो अच्छा लगता ही था।
लेकिन अब अभिनव को भी मज़ा आता है, इसलिए अब और करने का मन होता है।”
अजिता मटर छीलते हुए बोली, उसे मालूम था कि अजय अजिता के बारे में बहुत चिंतित हो रहा था।
शादी होकर जिस साल अजिता आई थी, उस साल पढ़ाई जारी न रखने की वजह से वह अजय से एक साल पीछे रह गई थी फिर जिद्द करके अजय ने अगले साल बी० ए० का फार्म भरा और घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर अजिता की पढ़ाई शुरू करवाई।
विजय की घरवालों के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ती थी इसीलिए अजय ही इस तरह के काम की ज़िम्मेदारी लेता।
बी० ए० के दूसरे साल में, जब अजिता को पता चला कि वह माँ बनने वाली है तो घरवालों ने उसे परीक्षा देने को मना कर दिया।
उस समय भी अजय ने ही घरवालों को समझाया और राज़ी किया। परीक्षा के दो महीने बाद ही अभिनव हो गया।