निर्मल और दिव्या के घर से आने के बाद उन्हें रात मे नींद अच्छी नही आ रही थी। पेट भी कुछ खराब लग रहा था, शायद पेट में एसिडिटी बढ़ गई थी। तीन दिन से शादी के समारोह में खाना भी बहुत गरिष्ठ खा रहे थे। लड़की वाले दिल्ली के थे इसलिए लड़के वाले बारात लेकर दो दिन पहले दिल्ली आ गए थे। लड़के वालों का दूसरे शहर में आकर शादी करना शर्मा जी को अच्छा नही लगा।
“यह क्या बात हुई कि लड़के वाले पूरा तामझाम लेकर दूसरे शहर आ गए। कितनी परेशानी होती है सबको। वरना अपने शहर में आराम से शादी हो जाती।” शर्मा जी ने सोचा।
शर्मा जी को दरअसल पैसे खर्च करके शादी अटेण्ड करना अच्छा नहीं लगा। अपने शहर में होते तो बिना किसी खर्च के आराम से चले जाते। उन्हें लड़को वालों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। यहाँ ना आते तो दिव्या और निर्मल के घर भी नहीं जाना पड़ता।
शर्मा जी को प्यास लगी तो अंधेरे में ही पानी लेने उठे ताकि सुमन जग न जाए लेकिन पानी का गिलास हाथ से छूट गया तो गिलास गिरने की अवाज से सुमन उठ गयी और बोली,
“नींद नही आ रही है क्या?” सुमन रजाई से चेहरा बाहर निकाले शर्मा जी के जवाब का इंतजार कर रही थी। शर्मा जी हड़बड़ा गए और बोले,
“तुम सो जाओ, तुम्हें क्या करना।” शर्मा जी ने रुखा सा जवाब दिया।
सुमन अंधेरे में शर्मा जी के चेहरा पढ़ने की कोशिश कर रही थी। उसे लग गया था कि शर्मा जी किसी बात से परशान हैं।
सुमन ने दिमाग पर जोर डाला कि क्या बात हो सकती है, पर कुछ समझ नहीं आया। वह तो पूरे दिन साथ में ही थी। हुआ तो कुछ भी नहीं और न किसी के साथ झगड़ा हुआ, फिर इन्हें क्या हो गया है?
सुमन रजाई हटा के खड़ी हो गयी, हालाँकि ठंड मे रजाई से निकलना काफी मुश्किल था और नींद भी आ रही थी पर शर्मा जी को बिना पूछे अब नींद भी नहीं आएगी।
“क्या हो गया?’ कुछ परेशानी हो रही है?” सुमन ने प्यार से पूछा।
“नहीं, बस नींद नहीं आ रही है, मुझे दूसरी जगह नींद नहीं आती है। गद्दा भी ज्यादा मुलायम है।” शर्मा जी ने मुँह बनाते हुए कहा।
“नींद नहीं आ रही है,” सुमन ने सोचा।
अभी कल ही तो कमरा देखकर इतने खुश नज़र आ रहे थे। लड़की वालों ने सभी मेहमानों को फाइव स्टार होटल में रुकवाया था। सारी सुविधाये थी वहाँ, खाना भी बहुत बढ़िया था। कहीं आने-जाने के लिए गाडियाँ भी थी, इतनी सुविधायें तो उनके अपने घर में भी नहीं है। आज सुबह तक तो काफ़ी मस्त लग रहे थे और एक दिन पहले पूरी रात खर्राटों के साथ बीती थी। शर्मा जी जब भी बहुत खुश होते है तो उनके खर्राटे बढ़ जाते है। सुमन को वैसे तो खर्राटों की आदत हो गयी है लेकिन जब ज्यादा हो जाता है तब नींद नहीं आती है इसलिए कल रात सुमन को ठीक से नींद नहीं आई।
“सोने की कोशिश करिये नहीं तो कल फंक्शन में नींद आने लगेगी।”
“ठीक है, ठीक है, मैं सो जाऊँगा। तुम क्यों उठ गई हो जाओ, सो जाओ,” शर्मा जी थोड़ा नरम हुऐ।
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