“दिनेश साहब आपके पेपर्स तो पूरे हैं, पर अभी आपका सैक्शन लेटर नहीं आया है।”
“वही तो साहब!’ कब आएगा लेटर।, मैं पिछले तीन महीने से दस बार आ चुका हूँ। सारे पेपर्स भी लगा दिए है, साहब मैं बड़ी परेशानी में हूँ। सारा काम काज़ रुका हुआ है जरा जल्दी करा दीजिये, बड़ी मेहरबानी होगी।” गिड़गिड़ाते हुए दिनेश जी बोले।
शर्मा जी को लोगों का ऐसे गिड़गिड़ाना बहुत पसंद आता था। मन मे सोचा,
“अब आया न ऊंट पहाड़ के नीचे।”
“चलिए देखते है कि आपका काम कैसे जल्दी हो सकता है, अब आप जाइए अगले महीने आईयेगा, तब तक शायद कुछ हो जाये।” शर्मा जी उनकी फाइल बंद करते हुए बोले। दिनेश के बाद भी लोगों की लम्बी लाईन लगी हुई थी।
“साहब, अगले महीने? अभी तो बहुत दिन है। आज तो 4 तारीख है। साहब उसके पहले ही करा दीजिये। बड़ी मेहरबानी होगी, बड़ी परेशानी चल रही है,” दिनेश बहुत उदास और निराश हो कर बोला।
“ठीक है, बीच में फोन करके मालूम कर लिजियेगा, अगर हो जायेगा तो आकर ले जाईयेगा। अब मैं और लोगों का काम कर लूँ। देखिए न आपके बाद भी कितने लोग खड़े है। शर्मा जी ने गुस्सा दिखाते हुए कहा तो दिनेश चुपचाप पीछे हट गया और निरीह सा देखते हुए वहाँ से चला गया। लंच के बाद पाँच बजे तक शर्मा जी लगातार काम करते रहे तो आधे से ज्यादा लोगों का काम कर चुके थे। कुछ लोग बचे भी थे लेकिन पाँच बज चुके थे। पाँच बजे के बाद शर्मा जी से काम नहीं होता था और वैसे भी ऑफिस का समय भी पाँच बजे तक ही था।
“शर्मा जी आज कुछ ज्यादा ही व्यस्त लग रहे हैं? चाय भी नहीं पी, गुप्ता जी अपनी सीट से उठ कर वहाँ आ गए और शर्मा जी ने भी फाइले बंद करके रख दी और पेन भी बंद करके जेब में डाल लिया और बाकि बचे लोगों से बोले,
“कल आ जाइए, सुबह पहले आप ही का काम कर देंगे।”
“अरे साहब, इतनी देर से खड़े है और इतनी दूर से आये है। आपने तो कह दिया कल आ जाना। आप जानते है कि हम कितनी दूर से आये हैं।
“क्यों परेशान कर रहे है।” एक बुजुर्ग से रहा नहीं गया तो कह दिया।
गुप्ता जी ने शर्मा जी को इशारा किया कि काम कर दीजिएगा नहीं तो कल जैसा न हो जाये। शर्मा जी भी थोड़ा घबराये तो उन्होंने कहा,
“देखिए पाँच बज गए है। सबका काम करेंगे तो कम से कम छः बज जाएंगे।”
“हाँ साहब, लेकिन सबका काम भी तो हो जायेगा। अगर आपको नहीं करना है तो इतने टोकन क्यो दिए है।” एक महिला जो लाईन मे पीछे खड़ी थी, बोली। उस महिला का कहना था कि और लोग भी उसे समर्थन देते हुए कहने लगे।
शर्मा जी कल की घटना याद करके डर गए, उन्हें लगा कि अगर उनका काम नहीं किया तो शोर बढ़ जायेगा और आज तो साहब सस्पेंड ही कर देंगे।
“अच्छा ठीक है। मैं आप लोगो के लिए एक घंटे रुक जाता हूँ। आपका काम हो जायेगा।” शर्मा जी उदास होते हुए बोले तो लोगों ने राहत की साँस ली।
“बहुत-बहुत शुक्रिया साहब। बड़ी मेहरबानी है आपकी। आप नहीं जानते कल मेरे लिए दोबारा आना नामुमकिन था।” बुजुर्ग महिला ने कृतध्न होकर कहा, बाकी लोगों ने भी धन्यवाद दिया।
“ठीक है हम पाँच मिनट मे आते है और यह कहकर वह गुप्ता जी के साथ छोटू चाय वाले के पास आ गये। इन बड़े साहब की वजह से बहुत परेशानी है, पता नहीं कब जाएँगे।” गुप्ता जी गुस्सा होते हुए बोले।
You must log in to post a comment.