Bachchon ki parvarish ke 9 challenge / बच्चों की परवरिश की 9 चुनौतियाँ

Parents (parvarish ke challenge)पार्क में बच्चों के साथ quality time spend करके Parenting को enjoy कर रहे है।

Synopsis

बच्चों की परवरिश में parents को कई challenges को फेस करना पड़ता हैं।

हम सब जानते हैं की Parents को Bachchon ki parvarish ke challenge सामना करना पड़ता है। बच्चे अपने Parents को अपना आदर्श मानते हैं। वह बचपन से ही Parents को observe करते हैं,और उनको कॉपी करना चाहते है। तो यही पर parent- child relationship की नींव पड़ जाती है। और यह नींव बच्चे की जिंदगी के लिए बहुत मायने रखती है इसलिए Parents को अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताकर उनकी इस relationship को बहुत मजबूत बनाना चाहिए। ताकि बच्चों का अच्छा development हो सके।

आजकल की modern lifestyle  में Parents इतने busy  हैं की उनके लिए अपनी professional life , personal life ,और उसमें parenting की responsibility को एक साथ manage  करना बहुत मुश्किल हो रहा है। उनके पास टाइम की बहुत कमी हो रही है। इसी तरह के बहुत सारे challenges पेरेंट्स आजकल parvarish ke challenge face  कर रहे हैं।

इस आर्टिकल में हम लोग discuss करेंगे की आज की लाइफ स्टाइल में Parents किस तरह के challenges face कर रहे हैं और उनका solution  क्या है। 

Bachchon ki parvarish ke 9 challenge / बच्चों की परवरिश की 9 चुनौतियाँ

1 परिवार और करियर के बीच संतुलन :

आजकल सभी पेरेंट्स ज्यादातार working होते हैं और दोनों ही अपनी-अपनी लाइफ में बहुत busy हैं। बच्चो के लिए टाइम निकालना Parents के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि mothers के लिए घर और काम को balance करना , फैमिली की responsibility को पूरा करना , इन सबके बीच वह बच्चों के लिए जितना टाइम निकालना चाहिए उतना नहीं निकाल पाती। उनको ऐसा लगता है की वो कुछ ना कुछ neglect कर रही हैं । जिसकी वजह से उनको कुछ guilt feeling भी रहती है। 

इस (parvarish ke challenge) चीज को दूर करने के लिए आपको कुछ steps हैं जिनको follow करना चाहिए। जैसे की, आपके लिए priority work क्या है?  Priority work बहुत तरह के हो सकते है । जिसमें से  सबसे जरूरी है बच्चों के साथ quality time maintain करना। अगर आपके पास बहुत टाइम नहीं है तो भी आप अपने daily schedule में देखिए कि क्या आप 10 minutes ,15 minutes , half an hour, 1 hour कितना भी टाइम , आप बच्चों के लिए निकाल सकती हैं , तो वह जरूर निकालिये।

उस समय आपके पास कोई distraction नहीं होना चाहिए। आप पूरी तरह से बच्चों के साथ रहिए , उनकी problems को सुनिए , day today activities में वो क्या कर रहे है, वो समझने की कोशिश करिए। वो किससे  मिल रहे है ? उनकी life में क्या चल रहा है? आप वो जानने  की कोशिश करिए। इससे बच्चे आपसे बहुत connected feel करेंगे।

आपको भी यह जानने का रास्ता मिल जाएगा कि बच्चों की लाइफ में क्या चल रहा है। ऐसा तो नहीं उनकी लाइफ में कोई problem हो। आप बच्चों के लिए थोड़ा सा समय fix कीजिये। कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है की आप बाहर हो ,और बच्चों के साथ बिल्कुल टाइम नहीं दे पा रहे हो, तो भी आप फोन से connect  हो सकते हैं । आप वीडियो की through connect हो सकते हैं । आप जितना भी समय निकल सकते हो उसे बच्चों के साथ जरूर बिताएं।

2 Perfect बनने की इच्छा:

हर parents  चाहता है की हम बेस्ट पैरेंट बने और हम बिलकुल Perfect हो।  हमारे बच्चे भी हर चीज़ में perfect हो , चाहे वो education हो या वो extra curricular activities हो। आप कही पर भी नहीं चाहते है कि बच्चो में कही भी कुछ भी imperfect हो। यह चीज़ पेरेंट्स और बच्चे के angle से बहुत stressful हो रही है । दोनों इस वजह से बहुत stress में रहते हैं(parvarish ke challenge)।

Perfect होना या best होना बहुत अच्छी बात है । लेकिन आप यह समझने की कोशिश करिए कि यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि हर parent perfect हो या हर बच्चा perfect हो। आप और आप का बच्चा दोनों ही अपना बेस्ट होने की कोशिश करिये। उसके लिए आप positive रहिये और positive होकर बच्चे को motivate करिए।

बच्चे अपना जो best perform करें उसमें आप satisfied रहिए और बच्चे को भी praise करिए। इससे आपका भी stress कम होगा और बच्चों का भी , stress कम होगा क्योंकि हर एक  की capability, skill, talent हर चीज़ की एक limit होती है। आप उस limit के अंदर ही उनसे expect करेंगे तो वह आपके लिए और बच्चे दोनों के लिए अच्छा होगा।

Also Read:

बच्चों के लिए रोल मॉडल बनने के लिए पेरेंटिंग टिप्स

आशावादी कैसे बनाये बच्चों को ?

बच्चों में आत्म-सम्मान के निर्माण में माता-पिता की भूमिका

3 बच्चो को महंगी शिक्षा देने का बोझ:

school bus में बच्चे school जाते हुए। School चाहे छोटा हो या बड़ा education का level high होना चाहिए।

यह सबको मालूम है कि आजकल बच्चो (parvarish ke challenge) को पढ़ाना बहुत महँगा हो गया है। तो आप कोशिश करें कि आप पहले से ही कुछ funds पढ़ाई के लिए हमेशा अलग करके रखे ताकि आपको इस तरह की कोई problem ना हो। और अगर आप expensive education नहीं दे सकते हैं तो आप ऐसी education  दीजिए , ऐसे स्कूल में पढाये जहां के expenses आप आसानी से meet कर सकते हैं।

अगर आप अपने बच्चे को महंगे स्कूल में पढ़ाते हैं तो आपको लगेगा की आपका बच्चा बहुत सीख जाएगा , तो यह जरूरी नहीं है क्योंकि बच्चे तो अपनी capability के हिसाब से ही परफॉर्म करेंगे। तो आप ऐसा मत सोचिए की अगर आप बड़े स्कूल में  या अच्छे institutions  में भेज रहे है तो बच्चे बहुत अच्छे performer भी बन जाएंगे ,  आप expectation को limited रखिये और ऐसी education दीजिये जिससे आप पर financial burden बहुत ज्यादा न आ सके। 

4 Challenges with Children’s Listening Skills:बच्चों में बात न मानने की चुनौतियाँ

कई बार आपको लगता है  बच्चे आपकी बात नहीं सुन रहे है। कई बार Parents को feel होता ही  की उनकी कोई value नहीं है और बच्चे जैसे जैसे बड़े हो रहे है वो बहुत  independent सोच रख रहे है , अपने peer group पर ज्यादा भरोसा करते  है।  पर कभी कभी आप भी उनकी problems भी समझने की कोशिश करिये(parvarish ke challenge)।

हो सकता है कि आप उनका point of view समझ नहीं पा रहे हो। वो अगर आपकी कोई बात नहीं मान रहे हो तो हो सकता है की उनकी इक्च्छा न हो वो करने की। तो आप उसे समझने की कोशिश करिये और आपस में  बैठ कर communicate करिये। आप जब बात करेंगे और उसकी बात को समझेंगे तो हो सकता है , कि आपको ऐसा लगे की आपकी expectation ही गलत थी तो आप उसके साथ अच्छे relation बनाएं।

रोज बैठ कर बात करे और वो आपकी बात क्यों नहीं मान रहा है इसको समझने की कोशिश करिये और फिर भी अगर आपके लिए वो बात बहुत जरूरी है तो यह चीज़ आप बच्चे को explain करिये की यह problem या यह बात क्यों मानना जरूरी है। तो जब बच्चा convince होगा तब वो आपकी बात मान जाएगा।

5 Sleep Deprivation: बच्चों में सोने की कमी:

पेरेंट्स को लगता है की बच्चे बहुत देर तक जागते हैं तो जल्दी उठते नहीं हैं। नींद पूरी नहीं होती है, तो उसकी वजह से भी problems होने लगती हैं। तो पेरेंट्स को भी इस बात की चिंता (parvarish ke challenge)होती है। इस प्रॉब्लम के लिए आप बचपन से जब बच्चे छोटे हो तो आप सुबह का कोई ऐसा ritual fix कर दीजिए । जिसमे सब लोग उठकर एक साथ पूजा करें, जो लोग करते हैं या कोई sports खेलने जाएंगे, morning walk करेंगे। कोई भी activity हो सकती है , जो आपके घर की specific हो। तो वह अगर आप routine में शामिल कर देंगे तो बच्चों की वह habit  बन जाएगी। उनके लिए यह एक discipline हो जाएगा की मुझे सुबह उठकर यह काम करना है । 

तो जब सुबह उठने का time fix हो जाएगा , तो रात में अपने आप नींद जल्दी आएगी । और इसे फॉलो करने के लिए आपको भी जल्दी उठना पड़ेगा और ready होना पड़ेगा। अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चों की यह habit  बन जाएगी तो फिर यह problem नहीं आएगी या वह कम आएगी। 

6 Internet Immersion:इंटरनेट के अधिक उपयोग को सीमित करें(parvarish ke challenge)

बच्चो में mobile को लेकर addiction के negative effects बच्चो को बताने चाहिए।

आजकल किसी न किसी तरह बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी लोग ज्यादातार social media पर involved हैं। जो की बच्चों के लिए ठीक नहीं है। तो उसके लिए आपको सबसे पहले आपको खुद को थोड़ा , इन सबसे limit करना होगा। जिस तरह से भी आप इंटरनेट से connected  है, थोड़ा हटना पड़ेगा।

आप वो टाइम अपने बच्चों के साथ बिताएं , उनको कुछ और activities में involve करना पड़ेगा। क्योंकि अगर आप उन्हें हटने के लिए कहेंगे तो वह बिल्कुल नहीं मानेंगे (parvarish ke challenge)। आपको उनको कोई और alternate choice देनी  पड़ेगी जैसे कि उनको sports activity या कोई भी fun activity  में involve करिये जिसमें उनको मजा आए। कोशिश करिये की इन गतिविधियों में आप भी साथ में involve होंगे तो और अच्छा होगा।

7 Insufficient Moral Guidance: Moral मार्गदर्शन की कमी :

बच्चों में moral  values ना दे पाना, यह एक बड़ी problem है क्योंकि पेरेंट्स के पास टाइम नहीं है, फिर जो टाइम होता है वह उनको पढ़ाने में निकल जाता है। और या जो extra curricular activities होती हैं , उनमे और फिर social life की  भी बहुत सारी demands होती हैं। तो आपके पास moral and ethical values देने के लिए टाइम नहीं बचता है।

लेकिन यह point बहुत important  है क्योंकि अगर उनको अभी से ही यह values नहीं दी जाएगी तो उनको आगे चलकर क्या सही है क्या गलत है यह समझाना(parvarish ke challenge) बहुत मुश्किल होगा। तो बच्चों के लिए एक टाइम यह भी fix कर दीजिए की आपको थोड़ा सा कुछ ना कुछ real life events को relate करते हुए कुछ story सुना कर उनको सही और गलत की पहचान करना सीखाना चाहिए। क्यूंकि हर बच्चा चाहे वो कितना भी educated हो लेकिनअगर वो एक अच्छा इंसान नहीं बन पाया तो आपकी parenting incomplete रह जायेगी। 

 8 Nutrition Deficiency : पोषण की कमी

Healthy and Nutritious diet की picture जो की बच्चो को देना चाहिए।

आजकल fast food सभी बच्चे खाते हैं , और ज्यादा खाते  हैं। तो natural सी बात हैं जो healthy food होगा वह कम जाएगा। तो इसके लिए Parents को खुद अपनी healthy lifestyle पर बहुत focus करना चाहिए। बाहर के खाने को कम करना चाहिए , जो चीज बाहर मिलती हो, उसको घर में बनाने की कोशिश करें और बच्चों (parvarish ke challenge)को healthy food  खाने के लिए convince करना शुरू करें। उनको knowledge दे कि unhealthy food खाने से आगे चलकर क्या problems हो सकती है। जब इस तरह की knowledge आप daily देते रहेंगे तो धीरे-धीरे बच्चों को भी इस तरफ motivation होगा की वह कैसे unhealthy फ़ूड छोड़कर healthy फ़ूड खाये। 

9 Protection of Children: बच्चों की सुरक्षा

बच्चों की सुरक्षा भी बहुत बड़ा issue है तो इसलिए Parents को बहुत vigilant  रहना चाहिए की बच्चे अकेले ना रहे और अकेले हैं तो कहां हैं , किसके साथ हैं इन सब चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए। उसके लिए कुछ technology का भी use  कर सकते हैं और वो अपना समय भी बच्चों को देना शुरू करें ताकि उन्हें पता रहे कि बच्चे कहां जा रहे हैं, किस मिल रहे हैं। इसके बारे  में आपको बच्चों को भी educate  करना पड़ेगा कि चीज़ों को समझे और आपसे शेयर कर सके। तो बच्चो को भी सीखाएं की वो अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते है और आप भी उनके साथ रहे। उन्हें सुनसान जगह पर अकेला न छोड़े(parvarish ke challenge)। इस तरह की चीज़ों को अगर  आप Follow करेंगे तो काफी हद तक आप बच्चो को protect कर सकेंगे।

पार्क में अपनी बेटी को pamper करती हुई माँ ! बच्चो के पालन पोषण में उनके साथ समय बिताना बहुत जरूरी है।

Conclusion- Bachchon ki parvarish ke challenge

यह सारे challenges आज की modern society में Parents face कर रहे है , पर उनका solution भी है। आपको अपनी lifestyle में changes करके , बच्चो के साथ थोड़ा time spend  करके,  थोड़ा सा vigilant रहकर आप अच्छे से बच्चो को raise कर सकते है। 

FAQ- Bachchon ki parvarish ke challenge

Sign up to receive new posts

Subscribe to get e-book

.

Picture of Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

Picture of Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

Follow me on
Like this article? Share.

Leave a Reply

Facebook
Twitter
WhatsApp
Email

Popular Posts

“खुशी का असली रहस्य दैनिक जीवन के सभी विवरणों में सच्ची रुचि लेने में निहित है!!"

19-March-24

Discover more from Parenting By Anshu (Hindi)

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading