माता-पिता के रूप में, हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे जीवन के प्रति positive attitude रखें, लेकिन कभी-कभी यह जानना challenging हो सकता है कि इसे कैसे प्राप्त किया जाए। हालाँकि, आपके बच्चे को सभी जीवन स्थितियों में positive बनाए रखने के लिए कई easy and effective parenting की guidance हैं।
लगभग नौ महीने के लंबे इंतजार के बाद जब डॉक्टर माता-पिता को सूचित करते हैं कि उन्हें बेटी या बेटा हुआ है; at first, माता-पिता को विश्वास ही नहीं होता कि वे माँ या पिता बन गये हैं।
लेकिन, अगले ही पल वे बेहद excited feel करते हैं। वे माता-पिता के life के सबसे अच्छे पल होते हैं। बच्चा होने से बहुत excitement and joy आता है; हालाँकि, यह कई जिम्मेदारियाँ भी लाता है। Parenting की skills सीखने के लिए दुनिया भर में कहीं भी कोई training institute available नहीं हैं। Parenting के बारे में आप बड़ों, किताबों और अन्य संसाधनों से जान सकते है।
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें बाहरी दुनिया की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, उन्हें जीवन के challenges से निपटने के लिए कई तरह की skills सिखाने की आवश्यकता है।
ऐसे कई negative experiences हैं जिनका बच्चों को सामना करना पड़ सकता है। जिनमे से कुछ में शामिल हैं:
धमकाना: यह physical, verbal or emotional abuse सहित कई तरह का हो सकता है। यह स्कूल में, सोशल मीडिया पर या अन्य सेटिंग्स में हो सकता है।
दुर्व्यवहार: बच्चों को माता-पिता, caretaker या किसी और द्वारा physical, sexual or emotional abuse का शिकार होना पड़ सकता है।
Negligence: Negligence तब होती है जब बच्चे की basic needs पूरी नहीं होती हैं, जैसे खाना, घर या medical care की कमी।
Trauma: Trauma कई प्रकार की घटनाओं से हो सकता है, जैसे accidents, natural disasters, violence, या किसी दर्दनाक घटना को देखना।
Loss : बच्चों को कई तरह से Loss का अनुभव हो सकता है, जिसमें किसी loved one की मौत , तलाक, या transfer शामिल है।
Discrimination: Discrimination जाति, लिंग, धर्म या यौन रुझान जैसे factors पर based हो सकता है।
गरीबी: गरीबी में रहने वाले बच्चों को कई प्रकार के negative results देखने को मिल सकते है, जैसे food insecurity, poor health, and limited education के अवसर।
ये negative experiences बच्चों के mental and physical health के साथ-साथ उनके सामाजिक और emotional welfare पर लम्बा effect डाल सकते हैं। माता-पिता, care takers और communities के लिए यह जरूरी है की वो मिलकर इस दिशा में काम करें।
आपके बच्चों को positive बनाए रखने के लिए यहां कुछ पेरेंटिंग tips दी गई हैं:
1. negative self-talk से बचें:
negative self-talk क्या है? negative self-talk, जिसे negative self-discussion के रूप में भी जाना जाता है, व्यक्तियों के अपने बारे में internal dialogue या thoughts है जो judgemental , critical होते हैं। इसमें खुद की लगातार negative evaluation शामिल होता है, जिसके साथ अक्सर शर्म, guilt और inadequacy की भावनाएँ भी शामिल होती हैं। self -negative बातचीत कई रूप ले सकती है, जिनमें शामिल हैं:
Self-blame: negative results के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना, वो भी तब जब situation उनके control से बाहर थी।
Self-criticism : Self-criticism का मतलब है अपने गुणों को नज़रअंदाज़ करके personal faults और गलतियों पर ध्यान देना।
Catastrophizing: किसी स्थिति के negative results को बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताना, जिससे tension और crisis पैदा होता है।
Overgeneralization: यह मानना कि एक negative experience सभी स्थितियों पर लागू होता है, जिससे एक negative worldview बनता है।
फ़िल्टरिंग: किसी situation के positive aspect को नज़रअंदाज़ करना और केवल negative aspect पर ध्यान देना filtering कहलाती है। खुद के बारे में negative सोच हमारे दिल और दिमाग दोनों पर गहरा प्रभाव डालती है , जिससे depression , चिंता और कम आत्मसम्मान हो सकता है। यह रिश्तों, काम और जीवन के अन्य important aspects में भी interfere कर सकता है।
खुद के बारे में negative सोच को पहचानना और इसे positive सोच में बदलने के लिए काम करना महत्वपूर्ण है। इसमें negative thoughts को challenge करना, self-compassion की practice करना और दूसरों से समर्थन मांगना शामिल हो सकता है।
2 एक माता-पिता अपने बच्चों में optimism को nurture करने के लिए क्या कर सकते है :
एक determinant व्यक्ति वह होता है जो लोगों के साथ व्यवहार करते समय confidence से भरा रहता है और वह वही कहता और करता है जो उसे सही लगता है। वह आँख बंद करके दूसरों को follow नहीं करता है, और वह जो चाहता है और महसूस करता है उसे कहने का साहस करता है।
बच्चों को determinant रहना सिखाना उनके social and emotional development का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
यहां पेरेंट्स के लिए कुछ tips दी गई हैं जिससे उनके बच्चे को अधिक determinant बनने में मदद मिल सके:
Encourage open communication: ऐसा माहौल बनाएं जहां आपका बच्चा अपने विचारों और भावनाओं को आपके साथ share करने में comfortable हो, आप actively और empathetically सुनें और दिखाएं कि आप उनकी राय को महत्व देते हैं।
Model assertiveness: बच्चे अपने parents को देखकर सीखते हैं, इसलिए स्वयं का assertive होना बहुत जरूरी है। अपने लिए respectfully और शांति से बोलें, और दिखाएं कि आप अपनी जरूरतों और विचारों को importance देते हैं।
भूमिका-निभाने का अभ्यास करें: भूमिका-निभाने की situation जहाँ आपके बच्चे को determinant रहने की आवश्यकता होती है, उन्हें अपने कौशल और आत्मविश्वास का निर्माण करने में मदद मिल सकती है। यह भाई-बहनों, दोस्तों या माता-पिता के साथ किया जा सकता है।
specific assertiveness skills सिखाएं: अपने बच्चे को specific assertiveness skills सिखाएं, जैसे विनम्रता से “नहीं” कहना, भावनाओं को व्यक्त करने के लिए “मैं” कथन का उपयोग करना और respectfully अपने लिए खड़े होना।
Encourage problem-solving: अपने बच्चे को problem-solving skills सिखाएं और उन्हें उन struggles का solution ढूंढ़ने के लिए encourage करें जो उनकी अपनी जरूरतों और दूसरों की जरूरतों का सम्मान करते हैं।
Assertive behavior की प्रशंसा करें: जब आप अपने बच्चे को assertive होते हुए देखें, तो उनके व्यवहार के लिए उनकी प्रशंसा करें और खुद के लिए खड़े होने के positive फायदे भी बताये।
एक supportive and encouraging environment देकर और specific skills सिखाकर, माता-पिता अपने बच्चे को social situations में अधिक assertive and confident बनने में मदद कर सकते हैं।
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3. उन्हें alternative options पर काम करना सिखाएं:
कभी-कभी बच्चे अपनी समस्याओं में फंस जाते हैं और जब उन्हें इसका कोई solution नहीं मिलता तो वे निराश हो जाते हैं।उस समय माता-पिता को उन्हें यह दिखाना चाहिए कि समस्या को सुलझाने के लिए कुछ alternative options कैसे अच्छा काम कर सकते हैं।यह practice बच्चों में positive attitude को मजबूत करने में मदद करता है।
यहाँ एक उदाहरण है:
मान लीजिए कि एक बच्चा गणित की एक कठिन समस्या से जूझ रहा है और frustrated and discourage हो जाता है। बच्चे ने कई बार इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन कोई solution नहीं ढूंढ पाया। इस point पर, माता-पिता interfere कर सकते हैं और problem के solution के लिए alternative options suggest कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, माता-पिता समस्या को छोटे भागों में distribute करने, एक अलग approach अपनाने या टीचर या classmate से मदद लेने का सुझाव दे सकते हैं। माता-पिता भी बच्चे को Positive approach बनाए रखने के लिए encourage और support के शब्द बोल सकते हैं। alternative option के सलाह देकर और सहायता करके, माता-पिता बच्चे को developed mindset and positive approach develop करने में मदद कर रहे हैं। यह practice बच्चों को ज्यादा flexible बनने और भविष्य में चुनौतियों और failures को बेहतर ढंग से संभालने में मदद कर सकता है।
4 . उन्हें विश्वास दिलाएं कि समय के साथ परिस्थितियाँ बदलती हैं:
जब बच्चे बदमाशी, failure और social exclusion आदि जैसी समस्याओं का सामना करते हैं तो निराश हो जाते हैं। इससे निपटने के लिए माता-पिता को बच्चों को सलाह देनी चाहिए कि परिस्थितियां कभी एक जैसी नहीं रहतीं। वे बदलती रहती हैं और कुछ समय बाद सब ठीक हो जाता है। और बच्चों को भी encourage करें कि वे निराश न हों और patiently अपने अच्छे समय की प्रतीक्षा करें।
5. Positive रहने के लिए माता-पिता का guidance – develop problem-solving skills:
जब बच्चा किसी समस्या में फंस जाए तो माता-पिता को चाहिए कि वह उसे खुद ही Problem को solve करने दें। इस training से बच्चों में problem-solving skills develop होंगी। और जब बच्चों में यह skill develop हो जाती है तो वे किसी भी काम में hope नहीं छोड़ेंगे।
हालाँकि, माता-पिता को बच्चों को यह भी बताना चाहिए कि हर समय मजबूत रहने की ज़रूरत नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर उन्हें दूसरों से मदद लेनी चाहिए।
इसलिए जब बच्चे किसी समस्या में फंस जाते हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी समाधान नहीं ढूंढ पाते, तो उन्हें अपनी कमजोरी पर शर्मिंदा हुए बिना दूसरों की मदद लेनी चाहिए।क्योंकि कोई भी हर समय परफेक्ट या बहादुर नहीं हो सकता, इसलिए दूसरों के सामने हमेशा मजबूत होने की छवि बनाए रखने की कोई जरूरत नहीं है।
यहां रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी समस्याओं के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिनका बच्चों को सामना करना पड़ सकता है:
time management:
बच्चों को अपने समय को effective तरीके से manage करने में कठिनाई हो सकती है, जैसे कि स्कूल के काम और extracurricular activities को balance करना या समय पर स्कूल के लिए तैयार होना।
समाधान :
कार्यों और गतिविधियों को शेड्यूल करने के लिए एक planner या कैलेंडर का उपयोग करें।
कार्यों को प्राथमिकता दें और सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को पहले निपटाएँ।
बड़े कार्यों को छोटे, manageable भागों में बांटे।
ट्रैक पर बने रहने के लिए reminder या अलार्म सेट करें। सोशल मीडिया या टेलीविज़न जैसे distractions को सीमित करें।
Social Conflict:
बच्चों को दोस्तों या सहपाठियों के साथ disagreements or bullying जैसे conflicts का सामना करना पद सकता है।
समाधान:
आवश्यकताओं और सीमाओं को express करने के लिए assertive communication को अपनाये। दूसरे व्यक्ति के perspective को समझने की कोशिश करें और मिलकर solution निकालने की कोशिश करें। किसी trustworthy, जैसे टीचर या counsellor से मदद लें। बदला लेने या negative behaviour में शामिल होने से बचें।
Organization:
बच्चों को अपनी चीज़ों को organized रखने में problem हो सकती है, जैसे कि अपने कमरे को साफ़ रखना या अपने स्कूल supplies को manage करना।
6. संतोष का महत्व समझाइये:
बच्चो में optimism को nurture करने के लिए पेरेंट्स बच्चो को यह समझा सकते है कि दूसरे लोगों ने उनकी life में confidence पाने के लिए कितनी मेहनत की है।
जो उनके पास नहीं है उसके लिए रोने के बजाय जो उनके पास है उसका आनंद लेने के लिए उन्हें समझाएं।
7. नियमित व्यायाम करें, अच्छा खाएं और अच्छी नींद लें:
रात की अच्छी नींद के साथ हर दिन व्यायाम करना और balanced diet खाना सबसे अच्छे उपहारों में से एक है जो माता-पिता अपने बच्चों को दे सकते हैं।
8. Positive रहने के लिए पेरेंट्स का guidance -बच्चे जर्नल एंट्री की आदत डालें :
जर्नल वह लेख है जो किसी के मन में हो। बच्चे अपने journals लिखकर अपने दिन-प्रतिदिन के विचारों, भावनाओं, विचारों, चिंताओं, achievements और frustration को ट्रैक कर सकते हैं। इससे बच्चों को उनकी problem का solution positively तरीके से निकालने में मदद मिलती है।
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9. अपने आप को एक उपहार दें:
बच्चों में self-respect and self-love की भावना develop करने के लिए कभी-कभी खुद को कुछ उपहार देने चाहिए। मुझे पूरा यकीन है कि इन आदतों का अभ्यास करने से आपका बच्चा सभी situations में positive attitude रख सकेगा।
यदि आपको लगता है कि यह लेख सभी माता-पिता या भावी माता-पिता के लिए उपयोगी होगा, तो कृपया इस लेख को Share करें।
निष्कर्ष-
Positive रहने के लिए माता-पिता का guidance .
माता-पिता के रूप में, सबसे important goals में से एक है – खुश और positive सोंच के साथ बच्चों का पालन-पोषण करना। इसके लिए positive parenting techniques and strategies को अपनाने की जरूरत है जो बच्चों में positivity को बढ़ावा देता हैं। बच्चों को positivity सिखाना challenging हो सकता है, लेकिन यह उनके भलाई लिए आवश्यक है। माता-पिता positivity के लिए विभिन्न पेरेंटिंग tips का पालन करके बच्चों में positive approach को develop कर सकते हैं। बच्चों में positive mindset develop करने के कुछ effective तरीकों में negative self discussion से बचना, assertive होना, problem-solving skills सिखाना औरcontentment के महत्व पर जोर देना शामिल है। बच्चों में positivity को बढ़ावा देकर, माता-पिता उन्हें खुशहाल और अधिक fulfilling lives जीने में मदद कर सकते हैं।
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