उदासीनता और डिप्रेशन के बीच कुछ समानताओं के बावजूद, वे अलग हैं।
उनके बीच अंतर समझ लेने से निराशाजनक व्यक्ति की सहायता और उपचार किया जा सकता है।
उदासीनता बनाम डिप्रेशन के बीच की विभिन्नताएं:
प्रत्येक जीवन प्रसन्नता और अप्रसन्नता के पलो से भरी हुई है।
यह सही है कि प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्नता के पलों का मजा लेते हैं।
लेकिन लोग दुखी क्षणों मे अलग व्यवहार करते है, जिसका कारण है, उनकी जीवन के प्रति अलग नजरीया।
नकारात्मक घटनाएं जैसे कि किसी व्यक्ति की हानि, संपत्ति की हानि, नौकरी या कोई रिश्ता प्राकृतिक आपदाएं दुर्घटनाएं आदि उदासी का कारण होते हैं।
यह सामान्य है कि इससे उदासी या दुख की भावनाएं का विकास होता है और ऐसी परिस्थिति में कुछ कार्यो से मन हट जाता है।
लेकिन दुख में होना, डिप्रेशन में होने के समान नहीं है।
इसलिए दुख और डिप्रेशन की तुलना के बारे में लोगों को जानना चाहिए।
दोनों परिस्थितियों में निम्नलिखित अंतर देखे जा सकते हैं –
उदासी बनाम डिप्रेशन – अंतर 1
दुख नकारात्मक सोच का परिणाम नहीं है जबकि डिप्रेशन नकारात्मक सोच का परिणाम है।
मान लीजिए कि एक छात्र प्रतिस्पर्धी परीक्षा में विफल रहता है।
कुछ समय के लिए उदास महसूस करना एक सामान्य बात है।
हालांकि, अगर वह सोचता है कि वह कभी उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा और सोचता है कि वह एक असफल व्यक्ति है तो वह डिप्रेशन में है।
उदासीनता बनाम डिप्रेशन – अंतर 2
दुख स्थाई नहीं है वह कुछ समय बाद खत्म हो जाता है। लेकिन अवसाद में व्यक्ति अपने आप ठीक नहीं हो पाता, उसे अच्छा महसूस करने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
अगर वह लंबे समय तक इलाज नहीं करवाता तो परिस्थिति और विकट हो जाती है।
उदासीनता बनाम डिप्रेशन – अंतर 3
उदासी में, दर्दनाक भावनाएं अक्सर सकारात्मक यादों के साथ मिश्रित होती हैं जबकि अवसाद में ऐसा नहीं होता है।
डिप्रेशन में, मूड और खुशी घटती रहती है और ऐसी स्थिति दो हफ्ते से अधिक समय तक भी रह सकती है।
उदासीनता बनाम डिप्रेशन -अंतर 4
दुख में साधारणतया आत्मविश्वास बना रहता है जबकि तनाव में अयोग्यता, अकर्मण्यता और आत्म-घृणित जैसी भावनाएं सामान्यतः बनी रहती हैं।
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