टीनेजर्स के पेरेंट्स अक्सर किशोरों से संवाद करने के प्रभावी तरीके ना जानने के वजह से कुछ प्रॉब्लम्स फेस करते हैं । जैसे उनको लगता है कि टीनेजर्स अब उनकी बात नहीं सुन रहे हैं, अग्रेसिव हो जाते हैं और अपने पेयर्स पर ज्यादा भरोसा करते हैं। उनका लाइफ पैटर्न क्लियर नहीं होता है जैसे कि कब वह सो रहे हैं, कब उठ रहे हैं। स्टडीज को लेकर भी थोड़े से लापरवाह हो जाते हैं, उनके ग्रेड्स अक्सर गिरने लगते हैं । कई बार उनका फ्रेंड सर्कल ऐसा होता है कि वह सब्सटेंस भी यूज़ करना शुरू कर देते हैं या उस ओर अट्रैक्ट होने लगते हैं। उनके अंदर मोरल और एथिकल वैल्यूज भी नहीं दिखाई पड़ती ।
जब पेरेंट्स उनको कुछ सिखाना चाहते हैं तो वह कम्युनिकेशन आर्गुमेंट में कन्वर्ट हो जाता है । और उसका रिजल्ट कुछ नहीं आता है। पेरेंट्स के लिए इसमें स्ट्रेसफुल हो जाना बिल्कुल लॉजिकल है।
इस ब्लॉग में हम टीनएजर्स के साथ संवाद करने के प्रभावी तरीके आपके साथ शेयर करेंगे। जिसको समझकर आप अपने बच्चों के अंदर गुड हैबिट्स डाल सकते हैं और जो उनके अंदर आपको बैड हैबिट्स लग रहे हैं उनको दूर कर सकते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि हार्मोनल चेंजेज के कारण टीनेजर्स में काफी चेंजेज आते हैं । ऐसी स्टेज में टीनेजर्स आपसे क्या एक्सपेक्ट करते हैं और वो क्या सोचते हैं इसके बारे में आपको मालूम होना चाहिए।
कैसे आप बच्चों के साथ अपने संवाद को सुधार सकते है :
पहले बच्चों की साइकोलॉजी को समझे :
टीनेजर्स कई बार आपके उनके प्रति बिहेवियर से बहुत हर्ट हो जाते हैं। ऐसा तब होता है जब आप उनको दूसरों से कंपेयर करते हैं। कभी कभी आप उनको स्टडीज को लेकर क्रिटिसाइज करते हैं या उनको डांटते हैं। वह बहुत हर्ट होते हैं क्योंकि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। आपको उनकी साइकोलॉजी को समझना होगा।
बच्चों को लिमिट के बियॉन्ड कुछ करने को न कहे :
उनका ब्रेन डेवलप हो रहा होता है। पर पूरी तरह से डेवलप नहीं है, तो वह अपनी बेस्ट एफर्ट करते हैं कि वह पढ़ाई को कर सकें। लेकिन उनकी एक लिमिट होती है l और जब वह नहीं कर पाते हैं और आपका व्यव्हार उनकी तरफ नेगेटिव होता है तो वह बहुत हर्ट फील करते हैं।
किसी से उनका comparison ना करें :
उनका मन होता है कि आप उनको समझे और वो आपको समझें और उनकी मदद करें। किसी और से कंपैरिजन करते समय वह बहुत ही ज्यादा हर्टफुल होते हैं, तो उनकी आपसे रिक्वेस्ट यह होती है कि आप उनका कंपैरिजन किसी से भी ना करें। लेकिन उनके पास वर्ड्स नहीं होते हैं यह एक्सप्रेस करने के लिए।
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उनके शक की निगाह से ना देखे :
उसी तरह से, जब आप डिटेक्टिव की तरह बच्चों के पीछे लगते हैं और उन पर शक करते हैं, तो यह भी बच्चों को अच्छा नहीं लगता l क्योंकि वह चाहते हैं कि अब वो बड़े हो गए हैं, उन्हें थोड़ी सी फ्रीडम मिलनी चाहिए lऔर थोड़ी सी प्राइवेसी मिलनी चाहिए। आपका डिटेक्टिव बिहेवियर या आप हर समय एक शंका में रहते हैं, यह चीज भी बच्चों को हर्ट करती है और उनके पास वर्ड्स होते नहीं हैं l यह चीज आपसे कन्वे करने के लिए, वह कहते हैं लेकिन हम लोग समझ नहीं पाते हैं।
अपने प्यार को एक्सप्रेस करें और उन्हें अपना सपोर्ट दें :
पेरेंट्स को कभी-कभी ऐसा लगता है कि बच्चे उनसे बिल्कुल अब प्यार नहीं करते हैं, ठीक से बात नहीं करते हैं, पर एक्चुअली ऐसा नहीं है। बच्चे आपसे बहुत प्यार करते हैं और वह भी उम्मीद करते हैं कि आप अपनी फीलिंग्स उनसे एक्सप्रेस करें। इस स्टेज में उनको प्यार और सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। बस वह कह नहीं पाते हैं, इसलिए आपको ऐसा फील होता है कि वह तो चिल्ला रहे हैं या आपकी बात नहीं मान रहे हैं। वह उनके लिए नॉर्मल है l उनको नहीं समझ आता है कि यह हमारा बिहेवियर कुछ गलत है।
कुछ बातों को कभी कभी इग्नोर भी करिये :
अगर बच्चे थोड़ा बहुत चिल्ला रहे हैं या आपकी कोई बात नहीं सुन रहे हैं, जैसे कोई घर पर आया और आपने कहा कि चलो बैठो, विश कर लो, उनका मन नहीं है तो वहां पर आप जिद्द मत करिये। अगर नहीं मन है तो छोड़ दीजिए, जो आया है वह भी इस बात को समझ जाएगा। कुछ चीजें आपको इग्नोर करनी हैं, उनको समझना है l लेकिन उनके इस बिहेवियर का यह मतलब नहीं है कि वह आपसे प्यार नहीं करते हैं और उनको आपके प्यार की जरूरत नहीं है।
अपने बच्चों के साथ कनेक्टेड रहे, उन्हें थोड़ी स्पेस दें :
इस स्टेज पर बच्चे आपसे अपने लिए थोड़ी प्राइवेसी चाहते हैं, रिस्पेक्ट चाहते हैं और आपसे बहुत सारा प्यार चाहते हैं। आप ट्रस्ट करिए कि अगर आप बच्चों की रिस्पेक्ट करेंगे, उनको बहुत सारा प्यार देंगे और दिल से कम्युनिकेट करेंगे, अपने वर्ड्स को सोच-समझकर यूज करेंगे, तो आपके और आपके बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत होगा।कभी भी ऐसी कोई बात नहीं करेंगे जो उनको हर्ट करे l तो आप देखेंगे कि बच्चे अपने आप खुद बखुद सही रास्ते पर आ जाएंगे।
इन सब समस्याओं को रोकने का केवल एक तरीका है कि आप बच्चों के साथ संवाद करने के प्रभावी तरीके ढूंढे ताकि आप उनसे कनेक्टेड रहें l उनको समय दें, और जब आप उनको सोल्यूशन देंगे तो वे डेफिनेटली आपकी बात को सुनेंगे। फिर चाहे वह सब्सटेंस यूज हो, उनका स्लीप पैटर्न हो, उनकी न्यूट्रिशन से रिलेटेड कोई इशू हो या स्टडीज हो l हर चीज में अगर आप उनकी मदद करेंगे, उनकी बात को सुनेंगे और समझेंगे, तो वे भी आपकी बात को जरूर समझेंगे। बी पॉजिटिव और जब आप खुद पॉजिटिव रहेंगे, तो बच्चे भी पॉजिटिव बनेंगे और अच्छी हैबिट्स को फॉलो करेंगे।
निष्कर्ष :
सारांश यह है की यह समझना महत्वपूर्ण है कि टीनेजर्स के साथ संवाद करने के प्रभावी तरीके ढूंढे और उन्हें सपोर्ट करें l यह उनके विकास और खुशहाल जीवन के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों के प्रति संवेदनशील और समझदार होना, उनकी आवश्यकताओं को पहचानना और उनके पर्सनल स्पेस का सम्मान करना पेरेंट्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उनकी भावनाओं को समझकर, उनके साथ समय बिताकर, और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, पेरेंट्स बच्चों के जीवन में एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम बन सकते हैं।
इस प्रकार पेरेंट्स भी एक स्वस्थ और सुखद पारिवारिक वातावरण का आनंद ले सकते हैं। इसलिए, धैर्य रखें, प्यार और समझ से काम लें, और अपने बच्चों के साथ मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाए रखें। इससे न केवल बच्चे अपनी चुनौतियों का सामना कर सकेंगे, बल्कि वे अच्छे मूल्यों और आदतों को भी अपनाएंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
१) मैं टीनेज बच्चे के साथ कैसे प्रभावी तरीके से संवाद स्थापित कर सकते हैं?
बच्चों के साथ ओपनली और ईमानदारी से बातचीत करें। उनकी बातों को ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। अपने विचार और सुझाव देने से पहले उनके दृष्टिकोण को समझें। उन्हें अपने विचार और भावनाएँ व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।
२) अगर मेरा बच्चा मेरी बात नहीं मानता है तो मुझे क्या करना चाहिए?
यह समझें कि टीनेजर्स अपने आत्मनिर्भरता के विकास की प्रक्रिया में होते हैं। उन्हें थोड़ी स्वतंत्रता और स्पेस दें। जब वे शांत हों, तब उनकी पसंद-नापसंद और व्यवहार के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें। सकारात्मक दृष्टिकोण से उनके साथ संवाद करें और उन्हें समझाएं कि उनके भले के लिए आप क्या सोचते हैं।
३) बच्चों के साथ तुलना करने से कैसे बचें?
हर बच्चा अनोखा होता है और उनकी क्षमताएं और रुचियां अलग-अलग होती हैं। अपने बच्चे की विशेषताओं और उपलब्धियों की सराहना करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। तुलना करने के बजाय, उन्हें खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करें।
४) मेरा बच्चा अपनी प्राइवेसी की मांग करता है, मुझे क्या करना चाहिए?
टीनेजर्स की प्राइवेसी का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। उन्हें थोड़ा व्यक्तिगत स्पेस दें और उनकी निजता का सम्मान करें। साथ ही, उनसे संवाद करते रहें और जब वे आपसे बात करना चाहें, तब उनके लिए उपलब्ध रहें। इससे आप दोनों के बीच भरोसेमंद संबंध बने रहेंगे।
