अपने बच्चे के Screen time को कैसे कम करें?

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Synopsis

अपने बच्चे के Screen time  को कैसे कम करें? बच्चों में Screen time का हनिकारक प्रभाव और स्क्रीन टाइम कम करने के उपाय-

कुछ दिनों पहले मैं अपनी आई चेकअप के लिए  Doctor के पास गई।

उनकी क्लीनिक बहुत बड़ी नहीं थी इसलिए वेटिंग एरिया में ‘silence please’ का बोर्ड लगा था और वहां रिसेप्शनिस्ट इस बात का विशेष ध्यान रखती थी कि शांति बनी रहे।

कुछ देर बाद वहां पर एक नवयुवती अपने दो-तीन साल के बच्चे को लेकर अंदर आई।

डॉक्टर के यहां मरीजों की भीड़ थी इसलिए उसका नंबर देर से ही आ पाएगा।

तब तक उसका छोटा बच्चा बिना शोर किए रह पाएगा इसकी मुझे आशंका थी।

मुझे मन ही मन अफसोस हो रहा था कि यह नवयुवती उस रिसेप्शनिस्ट की डांट जरूर सुनेगी और हो सकता है कि अधिक शोर करने पर रिसेप्शनिस्ट उसे बच्चे को लेकर बाहर वेट करने के लिए बोल दे।

लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वह युवती आकर बैठ गई और अपने बैग से फोन निकाला।

फिर फोन को ऑन कर के उसने कुछ प्रोग्राम सेट कर दिया और मोबाइल बच्चे के हाथ में पकड़ा दिया।

अगले 1 घंटे तक वह बच्चा बिना कुछ बोले, आराम से अपने प्रोग्राम को देखता रहा।

उस बीच में ना तो उसने पानी मांगा, न कहीं जाने की ज़िद की, ना ही मां से कोई बात की।

उसकी मां ने भी बैग से दूसरा फोन निकाला और वह भी अपने फोन पर पूरे समय व्यस्त रही।

मैं बेकार ही परेशान हो रही थी और वह मां बेटा दोनों अपने अपने फोन पर, अपने अपने प्रोग्राम के साथ मस्त बैठे रहे।

मैं सोच रही थी कि कुछ साल पहले अगर मैं इस जगह अपने बच्चे को लेकर आई होती तो क्या अंतर होता।

मेरे साथ एक बड़ा बैग होता जिसमें पानी की बोतल, खाने की चीजे, टॉयज, इनडोर गेम और बच्चों की स्टोरी बुक्स होती।

1 घंटे की वेटिंग में मुझे बच्चे को शांत रखने में काफी मेहनत करनी पड़ती क्योंकि बच्चा कभी गेम से बोर हो जाता, कभी बुक पढ़ने से बोर हो जाता।

मुझे लगा कि आजकल टेक्नोलॉजी मदर्स के लिए कितनी मददगार है। बच्चे कहीं पर भी बोर नहीं होते हैं।

डॉक्टर के पास मेरा नंबर आने पर उत्सुकता वश मैंने इस बात को डॉक्टर से पूछा कि बच्चों के ऊपर स्क्रीन का क्या प्रभाव पड़ता है।

डॉक्टर ने उस बारे में कुछ बातें बताई और मुझे डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर इस बारे में पढ़ने की राय दी।

डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक के अनुसार एक साल के अंदर वाले बच्चों को स्क्रीन देखना हानिकारक है।

एक साल से ऊपर के बच्चे एक घंटा देख सकते हैं। लेकिन वह भी अगर ना देखे तो उनके लिए बेहतर होगा।

WHO और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक के अनुसार बच्चे ज्यादा से ज्यादा अलग अलग तरह की एक्टिविटीज में जितना अधिक समय बिताएंगे वह उनकी स्वास्थ्य के लिए उतना अधिक लाभदायक होगा।

लेकिन आजकल देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों को इतना समय नहीं दे पाते हैं क्योंकि वह अपनी जॉब में और अपने काम में व्यस्त होते है और बच्चों को टीवी और फोन के हवाले कर देते हैं।

अधिक स्क्रीन टाइम के हनिकारक प्रभाव

• अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों की सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है।

• बच्चों की आदत सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल की तरफ बढ़ जाती है जिससे उनमें मोटापा बढ़ जाता है।

• उनकी नींद पर भी असर पड़ता है और जब नींद पूरी नहीं हो जाती है तब धीरे-धीरे उनके अंदर डिप्रेशन जैसे सिम्टम्स दिखाई देने लगते हैं।

• वैज्ञानिकों का मानना है कि स्क्रीन की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेस ब्रेन के अंदर डोपामिन नाम का एक केमिकल एक्टिवेट कर देते हैं जिसकी वजह से सोशल मीडिया और स्क्रीन पर रहने की आदत का जन्म हो जाता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रहने वाले बच्चों मैं अक्सर आत्मा बल की कमी देखी गई है।

• वास्तविक जीवन में वह लोगों के साथ इंटरेक्ट करना भी नहीं सीख पाते हैं।

इसलिए बच्चों के साथ मेहनत करना अभिभावकों की जरूरत है।

यह काम करना आसान नहीं है लेकिन असंभव भी नहीं है। अभिभावक अपनी आदतों मैं थोड़ा सा परिवर्तन करके अपने बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य दे सकते हैं।

स्क्रीन टाइम कम करने के लिए अभिभावकों को यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जो निम्नलिखित हैं:

किसी को कुछ सिखाने के पहले खुद सुधर जाना आवश्यक है

सीखने वाला किसी की बातों से कम आपकी आदतों से ज्यादा से प्रभावित होता है।

विशेषकर बच्चे प्रायः वही काम करते हैं जो वह अपने अभिभावकों को करते हुए देखते हैं इसलिए यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि अभिभावक खुद अपना स्क्रीन टाइम पर संयम रखें।

अक्सर लोग सुबह टहलते समय भी अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं।

घर में रहे या बाहर जाए तो वह अपना ऑनलाइन सोशल मीडिया अपडेशन चेक करते रहते हैं।

इस पर संयम रखने के लिए कोशिश करें कि फोन को अपने नजदीक ना रखें।

जहां पर भी रहे फोन को थोड़ा दूर पर रखें ताकि वह आपको सामने दिखाई ना पड़े।

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अगर फोन आप से थोड़ा दूर है तो आप किसी और काम में व्यस्त रहेंगे और जब आप व्यस्त होंगे तो आपको फोन देखने की याद नहीं आएगी।

परंतु अगर फोन आप के ठीक सामने है तो आपका संयम रखना मुश्किल होगा। इसलिए फोन को थोड़ा सा दूर रखें।

लेकिन अगर फोन को अपने साथ रखना आवश्यक हो तो जरूर रखें।

बस इस बात का ध्यान रखें कि फोन का इस्तेमाल बात करने के लिए करें, और वह भी जब आवश्यक हो।

अनावश्यक लंबी लंबी बातचीत फोन कर करना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

२  खेलने के लिए प्रेरित करें-

अभिभावक बच्चों के साथ बाहर जाकर खेल सकते हैं। उनको खेलने के लिए प्रेरित करें, नए दोस्त बनाएं।

ज्यादा समय प्रकृति के साथ बिताने की कोशिश करें। इसके लिए अगर अभिभावक बच्चों के साथ जाएंगे तो बच्चों को इसकी प्रेरणा मिलेगी।

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३ टेलीविजन का भी अनावश्यक इस्तेमाल

घर पर टेलीविजन का भी अनावश्यक इस्तेमाल करना बच्चों को स्क्रीन पर रहने की आद।त डालेगा।

उसकी जगह पर अभिभावक कुछ और काम भी कर सकते हैं।

जैसे बच्चों के साथ इनडोर गेम्स खेले।

कभी कभी बाहर घूमने जा सकते हैं।

नया कोई व्यंजन बनाने में सब लोग लग सकते हैं।

कुछ नहीं एक्टिविटीज जैसे पेंटिंग, म्यूजिक, डांस आदि को करने की कोशिश कर सकते हैं।

क्रिएटिव काम करने से बच्चों में आत्म बल बढ़ेगा। बच्चों को हमेशा कुछ नया क्रिएटिव सीखने की प्रेरणा दें।
अगर उनका मन दूसरी चीजों में लगने लगेगा तो स्वता ही स्क्रीन टाइम कम होने लगेगा।

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Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

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