सिर्फ सुनना और एक प्रभावी तौर पर सुनने में फर्क है । सुनने से मतलब उन आवाज़ों से है जो आपके कानों में पहुँचती हैं। यह एक शारीरिक प्रक्रिया है जो अपने आप होती है।
सुनना का अर्थ है कि संदेशों को ठीक तरह से प्राप्त करना और उसको सही प्रकार से समझने की क्षमता है। एक अच्छा लिसनर केवल वही नहीं सुनेगा जो कहा जा रहा है बल्कि वह वो भी सुनेगा जो अनकहा रह गया या सिर्फ इशारो से कहा गया है।
इसलिए, प्रभावी तरीके से सुनने में शरीर की भाषा, verbal या non-verbal संदेशों के साथ-साथ किसी भी समय क्या कहा जा रहा है, को सिर्फ observe करना ही नहीं है बल्कि उनमे discrepancies को देखना भी शामिल है।
इसलिए सुनने में केवल कानों का ही नहीं, आंखों का भी उपयोग करना चाहिए।
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