अच्छे श्रोता कैसे बने

Mother teaching her daughter

Synopsis

विचारों को समझने का अर्थ केवल शब्दों को नहीं, बल्कि पूरी क्षमता से जानकारी को पूरी तरह से समझना चाहिए।

सिर्फ सुनना और एक प्रभावी तौर पर सुनने में फर्क है । सुनने से मतलब उन आवाज़ों से है जो आपके कानों में पहुँचती हैं। यह एक शारीरिक प्रक्रिया है जो अपने आप होती है।
सुनना communication में संदेशों को ठीक तरह से प्राप्त करना और interpret करने की क्षमता है। एक अच्छा लिसनर केवल वही नहीं सुनेगा जो कहा जा रहा है बल्कि वह वो भी सुनेगा जो अनकहा रह गया या सिर्फ इशारो से कहा गया है।
इसलिए, प्रभावी सुनने में शरीर की भाषा, verbal या non-verbal संदेशों के साथ-साथ किसी भी समय क्या कहा जा रहा है, को सिर्फ observe करना ही नहीं है बल्कि उनमे discrepancies को देखना भी शामिल है।
इसलिए सुनना केवल कानों का ही नहीं, आंखों का भी उपयोग करने का मामला है।


एक इफेक्टिव लिसनर बनने के लिए आपको निम्नलिखित एक्टिविटीज का अभ्यास कर

1. ध्यान  से सुनने के लिए खुद को आराम दें।

अन्य बातों को अपने दिमाग से निकाल दें। हमारा  मन अन्य विचारों से आसानी से विचलित हो जाता है – मुझे office  के लिए देर हो रही है, dinner में क्या बनाऊँ , office  में बॉस का मूड कैसा होगा आदि आदि। इस तरह के विचारों को दिमाग से निकालने की कोशिश करें और उन संदेशों पर ध्यान केंद्रित करें जो communicate किए जा रहे हैं।

विचारों को समझने का अर्थ केवल शब्दों को नहीं, बल्कि पूरी क्षमता से जानकारी को पूरी तरह से समझना चाहिए। proper concentration से और  distractions को हटा देने से ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।

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2. बात के बीच में कभी भी किसी को interrupt नहीं करना चाहिए –

जब कोई और बात कर रहा हो, तो बीच में न बोलें , ध्यान से सुनें कि वे क्या कह रहा हैं। जब दूसरे की बात ख़तम हो जाए, तो आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए  की उन्होंने जो कहा वो आपको समझ आ गया।

3. एक इफेक्टिव लिसनर बनने के लिए अपने  हाव-भाव पर ध्यान दे –

स्पीकर को खुलकर बोलने में मदद करें, अपने gestures पर ध्यान और यह बह ध्यान रखे की उनका कोई गलत प्रभाव न पड़े –

हावभाव, चेहरे के भाव और आंखों की हरकत सभी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। हम न केवल अपने कानों से बल्कि अपनी आंखों से भी सुनते हैं – कई सारी ऐसी बातें भी होती है जो बिना बोले  भी कही जा सकती है 

उन्हें जारी और प्रोत्साहित करने के लिए सिर हिलाएँ या अन्य इशारों या शब्दों का उपयोग करें। आँखों  से संपर्क बनाए रखें लेकिन घूरें नहीं। दिखाएँ कि आप सुन रहे हैं और समझ रहे हैं कि वह क्या कह रहे  है।

4 दूसरे व्यक्ति की बात को समझने की कोशिश करें-

मामले को उनके नजरिए से देखिए। पहले से कल्पना किये हुए  विचारों को छोड़ दें। खुले दिमाग से हम उनकी बातों को सुन सकते है। यदि स्पीकर कुछ ऐसा कहता है जिससे आप असहमत हैं, तो प्रतीक्षा करें  ख़तम हो जाये तो respectful 

 तरीके से अपनी बात  का तर्क रखे और बताये के आप उनकी बात से क्यों असहमत हैं।

हमेशा दूसरों के विचारों  को स्वागत करे, अपना नजरिया विस्तृत रखे क्योंकि कभी-कभी आपको दूसरों के विपरीत विचारों में भी नया नजरिया देखने को मिल सकता हैं।

5 एक इफेक्टिव लिसनर बनने के लिए धैर्य रखें-

जो भी स्पीकर कह रहा है उसे धैर्य के साथ सुने, न तो चिड़चिड़े हों और ना ही उस व्यक्ति की आदतों या तौर-तरीकों से विचलित हो। सबके बोलने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक नर्वस या शर्मीले होते हैं, उनका लहजा बहुत प्रभावशाली होता है।  कुछ लोग बात करते हुए हिलना-डुलना पसंद करते हैं – अन्य लोग शांत बैठना पसंद करते हैं। एक पॉज, या फिर लम्बे पॉज का मतलब यह नहीं कि स्पीच पूरी हो गयी है। आपमें इतना  धैर्य  होना चाहिए की आप  अलग-अलग लोगों को बिना टोके आराम से सुन सके। वे जैसे हैं वैसे ही उन्हें स्वीकार करें।

समरी –

एक इफेक्टिव लिसनर होने के लिए, आपको धैर्य रखने और अन्य लोगों के नजरिया पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। एक सफल व्यक्ति एक इफेक्टिव लिसनर होता है।

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Anshu Shrivastava

Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

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