एक शर्मीले बच्चे को मेलजोल बढ़ाने में कैसे मदद करें

शर्मीले बच्चे

Synopsis

जानें कि कैसे एक शर्मीले बच्चे को धीरे-धीरे सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें। और उन्हें मजबूर किए बिना ही संपर्क के अवसर पैदा करके दोस्त बनाने में सहायता की जाए, जिसमें अन्य शर्मीले बच्चों के साथ दोस्ती की संभावना भी बढ़ जाता है।

एक शर्मीले बच्चे को मेलजोल बढ़ाने में मदद करने के लिए आपको कुछ बातें पता होनी चाहिए। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे स्कूल और अपने आस-पड़ोस के अन्य बच्चों से मिलते हैं।

कई बच्चे अन्य बच्चों के साथ आसानी से घुलमिल जाते हैं। वहीँ कुछ अकेला रहना पसंद करते हैं और किसी भी तरह की भीड़ से दूर रहते हैं।

कुछ बच्चे बेहद शर्मीले स्वाभाव के होते हैं। जिस वजह से वे दूसरे बच्चों से दोस्ती करने या उनसे बातचीत करने में उन्हें झिझकते हैं।

इस स्थिति को संभालने का सबसे अच्छा तरीका है, सबसे पहले अपने बच्चे को समझे। यदि वह अन्य बच्चों के साथ मिलने से इनकार करता है, तो आप उसे दोस्त बनाने के फायदे के बारे में धीरे से बात कर के समझा सकते हैं। आपको उसे किसी के साथ जबरदस्ती बातचीत करने या किसी और के साथ खेलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।

कभी-कभी दो शर्मीले बच्चे भी दोस्त बन सकते हैं। अपने बच्चों को समझे और उसकी routine पर ध्यान दीजिये। आपको अगर लगता है कि उसके behaviour में shyness है तो आप उसको नए दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। उनसे अपने दोस्तों को घर पर बुलाने के लिए भी कहें। डांटने या दवाब डालने से बच्चे की shyness दूर नहीं होगी,इसलिए ऐसा बिलकुल भी न करें।

मान लीजिए कि आपका बच्चा, जिसे लिपिका कह के बुलाते है , जो बहुत शर्मीली है और दूसरे बच्चों के साथ मिलने में झिझकती है। आप इस स्थिति को कैसे संभाल सकते हैं:

Observe करें और समझें:

लिपिका के व्यवहार को देखने के लिए समय निकालें और उसके नजरिये को समझने का प्रयास करें। क्या वह सामाजिक गतिविधि से बचना चाहती है?
क्या वह दूसरे बच्चों के सामने चिंतित या uncomfortable महसूस करती है?

उसके struggle को समझकर, आप उसके अनुसार अपना दृष्टिकोण तैयार कर सकते हैं।

बुद्धिमानी से बातचीत करें :

दोस्ती और सामाजिक मेलजोल के बारे में लिपिका के साथ प्यार से बातचीत शुरू करें। आप उससे दोस्त होने की importance , उससे मिलने वाली ख़ुशी के बारे में समझा सकते है। आप खुद के दोस्तों के साथ experience को बच्चों के साथ शेयर करिये। उन्हें यह भी समझाइये की दूसरों के साथ रिश्ता बनाने से हमें कितना फायदा होता है।

हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि अगर वह तैयार नहीं है तो उस पर बातचीत करने के लिए दबाव न डालें। इसके बजाय, समझ और सहानुभूति के बीज बोने पर ध्यान दें।

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मर्यादाओं का सम्मान करें:

लिपिका की सीमाओं का सम्मान करना महत्वपूर्ण है और उसे असहज परिस्थितियों में नहीं धकेलना चाहिए।

जब वह तैयार नहीं है तो उसे बातचीत करने के लिए मजबूर करना उसको और चिंता में डाल सकता है। उसके शर्मीलेपन को बढ़ावा मिल सकता है।

इसके बजाय, एक supportive environment दें। जहां वह अपनी इक्च्छा के अनुसार दोस्त ढून्ढ सके।

छोटे-छोटे प्रयासों को प्रोत्साहित करें:

लिपिका को सामाजिककरण की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करें।

उदाहरण के लिए, आप ऐसी गतिविधियों का सुझाव दे सकते हैं जहां वह सीधे बातचीत के दबाव के बिना अन्य बच्चों की बीच में रह सकती है। आप group discussion या कोई और social event में उसे जाने को कहे। जहां वह दूर से देख कर सीख सकती है।

धीरे-धीरे, जैसे-जैसे वह अधिक सहज होती जायेंगी , वह खुद ही दूसरों के साथ दोस्ती कर सकती है।

Leading नेतृत्व कर के :

आप अपने positive social interactions से भी लिपिका के लिए एक आदर्श बनें। उसे दिखाएँ कि दूसरों से कैसे संपर्क करें, बातचीत कैसे शुरू करें और empathy and kindness दिखाए उस पर सीधा दबाव डालने के बजाये उसे आपके व्यवहार को देखने और उससे सीखने के लिए प्रोत्साहित करें।

अवसर दें :

लिपिका के लिए ऐसा माहौल बनाये जहाँ वह बिना किसी stress के अन्य बच्चों के साथ बातचीत कर सके। इसमें थोड़े बच्चों के साथ खेलने की व्यवस्था करनी चाहिए। जिनके साथ वह comfortable महसूस करती है। ऐसी activities में भाग ले जहां वह दूसरों के साथ अपने interest को शेयर कर सके।

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याद रखें, हर बच्चा unique है, और शर्मीलापन कुछ व्यक्तियों का स्वाभाविक गुण है। लक्ष्य बनाये जो कि लिपिका को उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने और social skills को develop करने में मदद करता है।
Understanding, support, and gentle encourage करने से आप उसे सामाजिक परिस्थितियों से निपटने में मदद कर सकते हैं l इस तरह से दोस्त बना सकते हैं जो उसे authentic लगे।

जब बच्चे एक दूसरे से दोस्ती करते है उनके साथ खेलते है तो वो वंजोय करते है और उनकी shyness भी दूर हो जाती है

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Anshu Shrivastava

मेरा नाम अंशु श्रीवास्तव है, मैं ब्लॉग वेबसाइट hindi.parentingbyanshu.com की संस्थापक हूँ।
वेबसाइट पर ब्लॉग और पाठ्यक्रम माता-पिता और शिक्षकों को पालन-पोषण पर पाठ प्रदान करते हैं कि उन्हें बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, खासकर उनके किशोरावस्था में।

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