“Overthinking से कोई समस्या का हल नहीं निकलता,
केवल सही थिंकिंग से ही और सही कार्य से ही प्रॉब्लम्स दूर होती हैं”
‘Overthinking’ अर्थात किसी बात को लेकर अत्याधिक सोचना, इसी को ओवरथिंकिंग कहते हैं। जब भी कोई अप्रिय घटना किसी के साथ होती है तो लोग अक्सर उसके बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं। और फिर वह यह भूल जाते हैं कि उनकी जिंदगी में और भी बहुत सारे जरूरी काम है।
और भी बहुत सारी अच्छी चीजें हैं जिनके सहारे वो जीवन जी सकते हैं।
परंतु वह अपने अति संवेदनशीलता के कारण उसी चीज में फंस कर रह जाते हैं।
अभी कुछ ही दिन पहले, एक घटना मेरे साथ भी हुई थी उस दिन छुट्टी का दिन था।
हम सब ने मूवी जाने का और फिर डिनर करने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन सुबह-सुबह मेरा एक आभूषण कहीं खो गया और मैं इतना परेशान हो गई कि उसी में मेरा दिमाग उलझ गया।
मैं सारा दिन उसको ढूंढती रही ।
और फिर जब मैं मूवी में या डिनर में थी, उस समय भी मेरा दिमाग उसी में उलझा रहा।
घर में सभी लोग मेरी वजह से परेशान हो रहे थे। और मुझे समझा रहे थे कि मैं उसके बारे में सोचना छोड़ दूं और मूवी और डिनर में ध्यान दूं।
सब लोग कह रहे थे कि इस समय का आनंद लो लेकिन मेरा मन किसी भी तरह से मान नहीं रहा था।
रात में जब मैं सोने के लिए गई और अपना ईमेल चेक किया तो मैंने देखा कि मेरे पास लोगों की बहुत सारे प्रश्न आये हुये थे।
मैं लोगों के उनकी प्रॉब्लम से रिलेटेड प्रश्नो के जवाब ऑनलाइन एक वैबसाइट पर देती हूं।
उन प्रश्नों को पढ़कर मुझे महसूस हुआ कि लोग मुझसे कहीं ज्यादा परेशानी में हैं।
मैं बेकार में ही पूरा दिन परेशान रही और फैमिली का भी मजा कम कर दिया।
उनको भी परेशान किया और उसी समय मैंने महसूस किया कि यह गलत हो गया है।
ऐसा आगे से कभी ना हो, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए, उसे समझने के लिए मैंने सोचा वह मैं साझा कर रही हूं।
मान लें कि हमारा मन एक ऐसे बर्तन की तरह है, जिसमें गंदा पानी भरा हो और हमसे कहा जाए कि बिना इसको खाली किये इसको साफ पानी से भर दे।
यह आप कैसे करेंगे बिना खाली किए, शुद्ध पानी भरना असंभव सा लगता है लेकिन यह संभव है अगर हम लगातार उस बर्तन में शुद्ध पानी की धारा डालते रहेंगे तो एक समय ऐसा आएगा कि सारा गंदा पानी हट जाएगा और वह बर्तन शुद्ध पानी से भर जाएगा।
ठीक इसी तरह से हमारा मन और दिमाग भी है।
अगर हम उसको अच्छी चीजों से लगातार भरते रहे तो कभी भी कोई नकारात्मक चीजे दिमाग में नहीं बनेगी।
यह हमारे हाथ में होता है कि हम अपने मन और दिमाग में किन बातों को रखना हैं और किन बातों को हटाना हैं।
अगर धैर्य के साथ लगातार स्वस्थ और सकारात्मक विचार डाली जाए तो एक दिन ऐसा आएगा कि मन स्वस्थ और सकारात्मक विचारों से भर जाएगा।
यह विचार आते ही मेरा मन हल्का हो गया।
और अगले दिन जब मैं सो कर उठी तो मेरा मन बिल्कुल शांत था।
तब मैंने पिछले दिन की घटनाओं को शांतिपूर्वक सोचा तो मुझे याद आया कि तैयार होकर मैं किसी किताब को लेने के लिए बेसमेंट में गई थी।
हो सकता है कि वह आभूषण वहीं गिर गया हो क्योंकि मैं जल्दी-जल्दी में वहां पर किताब ढूंढ रही थी, उसी क्षण वह नीचे गिर गया होगा।
जब मैं वहां गई तो देखा कि जिस अलमारी के पास मैंने किताब निकाली थी वह आभूषण वही जमीन पर पड़ा हुआ था।
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इस घटना से मैंने अपने लिए कुछ स्टेप्स फाइनल किए जो मैं यहां आपके साथ साझा कर रही हूं –
“ओवरथिंकिंग से कोई समस्या का हल नहीं निकलता केवल सही थिंकिंग से ही और सही कार्य से ही प्रॉब्लम्स दूर होती हैं” और ओवरथिंकिंग चिंता पैदा करती है और चिंता समस्याओं को हल करने का ज्ञान कम कर देती है। चिंता और अति संवेदनशीलता अपने आसपास की खुशियों को भी खराब कर देती है और हम अपने जीवन के सुंदर और अच्छी चीजो का आनंद नहीं लेते हैं। इसलिए जब भी आप किसी भी मुद्दे में फंस जाएं हैं तो तुरंत अपने विचारों पर ध्यान दें और अगर आपके विचार चिंता पैदा कर रहे हैं तो उसी समय उन विचारों के बारे में सोचना बंद कर दें।
वही सही समय होगा कि जब आप उन विचारों को अपने दिमाग से हटा दें ताकि आपको अपने ध्यान और एक्टिविटीज में या कुछ ज्यादा इंपॉर्टेंट काम में लगाएं और आपको यह ध्यान रखना पड़ेगा कि ओवरथिंकिंग से क्या नुकसान होते हैं।
इसलिए जिस समय आप अच्छे मूड में हैं तब आप ध्यान करिए कि आपने कभी भी ओवरथिंकिंग करके अपना क्या नुकसान किया है।
क्या आपको ओवरथिंकिंग करने से कभी कोई फायदा हुआ है?
या सही समय पर सही सोच के साथ जब आपने सही दिशा की तरफ कदम बढ़ाए तब आपको फायदा हुआ है।
जब आप ध्यान पूर्वक इन चीजों को समझेंगे तो जब भी आगे आप कभी ओवरथिंकिंग में फंसते हैं तो आप खुद को ही चेक कर पाएंगे इसके लिए यह जरूरी है कि जिस तरह से आप रोज एक्सरसाइज करते हैं, पूजा करते हैं, खाना खाते हैं,
उसी प्रकार अपने विचारों पर भी रोज ध्यान दें; पूजा करने का सही अर्थ है कि हम अपने रोज के विचारों पर ध्यान दें और कहीं कुछ गलत है तो उसको उसी समय दूर कर दें।
बहुत अच्छा होगा कि अपनी पुरानी नकारात्मक सोच को अच्छी सकारात्मक ऊर्जा से रिप्लेस कर दें।
यह अभ्यास अगर आप रोज करेंगे तो आपके मन से नकारात्मक सोच भी दूर होगी और आप आगे कभी भी किसी भी अप्रिय घटना में अपने को ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे और धैर्य के साथ उसका समाधान ढूंढने में ध्यान लगा पाएंगे।
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