Ajita Chapter 17 : नया मकान / New House
उसे अपने घर से बहुत लगाव था, उसका जन्म उसी घर में हुआ था, उसके सब दोस्त भी वहीं के हैं, वो वहाँ बहुत खुश था,
उसे अपने घर से बहुत लगाव था, उसका जन्म उसी घर में हुआ था, उसके सब दोस्त भी वहीं के हैं, वो वहाँ बहुत खुश था,
“दो महीने बाद मेरे बड़े बेटे की शादी है और हमारे घर में इतनी जगह नहीं है।
इसीलिए अजिता को काम में व्यस्त देखकर अजय को गुस्सा आ जाता था और उस दिन भी वही हुआ।
उसने इतने जी जान से अभिनव का पालन पोषण किया कि डॉक्टर भी अभिनव का एक साल में विकास देख के हैरान रह गए।
बी० ए० के दूसरे साल में, जब अजिता को पता चला कि वह माँ बनने वाली है तो घरवालों ने उसे परीक्षा देने को मना कर दिया।
क्या जरूरत थी लड्डू बनाने की, बाजार में सभी चीज़े मिलती है।
उसकी धनवान सहेली के मकान जैसा कुछ भी मेल नहीं खा रहा था पर फिर भी वह उसका “अपना प्यारा घर” था।
उसे फिर से वही सपना दिखाई पड़ा जो उसे अभिनव के जन्म के बाद से दिखता आ रहा था।
वह तो अच्छा हुआ ज्योति के दिमाग में यह बात आ गई नहीं तो आज बहुत परेशानी होती।
नहीं, ऊपर नहीं आया और वहाँ नीचे भी कोई नहीं है। मैं नीचे सब तरफ देख आई हूँ।” अजिता घबराई हुई बोली। उसका दिल बैठा जा रहा था और गला सुख रहा था।
उसने सोच लिया था कि अबकी बार वह विजय से कहेगी कि टूर कम बनाए और अभिनव को ज्यादा समय दें।
गाँव वाले तो चले गए लेकिन अभिनव के सामने एक नई चुनौती थी और वह था गाँव में आतंक फैलाने वाला एक बड़ा और शक्तिशाली शेर।
विजय ने उसे देखा और सोचने लगा कि जिसे इस उम्र में कॉलेज जाना चाहिए था वो गर्मी मे आठ-दस लोगों का खाना बना रही है।
अचानक बेटी दामाद को देखकर, पिताजी इतना खुश हुए कि शाम तक उनका बुखार उतर गया।
आपकी बहुरानी तो इतनी छोटी भी नहीं है, जो खा पीकर सोने चली गई है।” वह महिला हँसते हुए बोली।
अजिता को जब गाँव जाने की बात पता चली तो वह पहले परेशान हो गई लेकिन फिर उसे लगा इस बहाने उसे गाँव देखने का मौका मिलेगा।
कैसे कर सकी वह इस तरह जो पचास साल पहले उन्नीस साल की एक अल्हर और अनुभवहीन बहू के रुप में एक अनजान परिवार में आई थी।
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